25 हजार का मुआवजा हमारा अपमान... बेटे की हत्या के बाद बांग्लादेश सरकार की मदद से छलका हिंदू परिवार का दर्द

दीपू दास के एक सहकर्मी ने ईशनिंदा का आरोप लगाया था, जिसके बाद उस पर हमला हुआ. हालांकि बाद में अधिकारियों ने कहा कि इस बात के कोई सबूत नहीं मिले कि दीपू दास ने ईशनिंदा की थी.

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  • बांग्लादेश में हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की पीट-पीटकर हत्या और शव जलाने की घटना पर दुनियाभर में आक्रोश है
  • दीपू के परिवार को सरकार ने मुआवजे के रूप में नकद राशि, चावल, कंबल और सिलाई मशीन दी है
  • दीपू के पिता ने बताया कि बेटे की नौकरी की वजह से कुछ लोगों ने ईशनिंदा का झूठा आरोप लगाकर उसकी हत्या कराई थी
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बांग्लादेश/नई दिल्ली:

बांग्लादेश में हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की बेरहमी से पीट-पीटकर हत्या और उसके बाद शव को आग लगाने की घटना से पूरी दुनिया में आक्रोश है. भारत सहित कई देशों में इसके खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं. इस बीच एनडीटीवी की टीम बांग्लादेश पहुंची और राजधानी ढाका से लगभग 140 किलोमीटर दूर दीपू के गांव तक गई. वहां हमने दीपू दास के परिवार से बात की और जानना चाहा कि इस घटना के बाद से उनपर अब तक क्या कुछ बीती है. उन्होंने इस दौरान सरकार के रवैये पर भी नाराजगी जताई.

दुखी परिवार ने एनडीटीवी को बताया कि बांग्लादेश प्रशासन द्वारा दिया गया मुआवजा मदद नहीं बल्कि अपमान जैसा लगा, हालांकि उन्हें उम्मीद है कि सरकार उनकी ठीक से मदद करेगी.

उन्होंने एनडीटीवी को बताया, “सरकार ने 25 हजार रुपये, थोड़े चावल, एक कंबल और एक सिलाई मशीन दी थी. आज हमें 1 लाख रुपये का चेक दिया गया है. हम जानते हैं कि सरकार हमारी और मदद कर सकती है और उम्मीद है कि वो करेगी.”

एनडीटीवी ने वहां देखा कि दीपू दास की पत्नी मेघना रानी घर के एक कोने में बेड पर बेसुध पड़ी थी. उसकी आंखों में खालीपन था और जुबान निशब्द थे. उसकी बेटी इतनी छोटी है कि उसे अपने पिता के साथ हुई घटना के बारे में फिलहाल कोई समझ नहीं है. दीपू दास के पिता भक्त रविदास, माता शेफाली रविदास और भाई अपू दास और रितिक दास इस 'घर' में रहते हैं.

दीपू दास के एक सहकर्मी ने ईशनिंदा का आरोप लगाया था, जिसके बाद उस पर हमला हुआ. हालांकि बाद में अधिकारियों ने कहा कि इस बात के कोई सबूत नहीं मिले कि दीपू दास ने ईशनिंदा की थी.

हत्या के लिए ईशनिंदा की कहानी रची गई- मृतक दीपू के पिता 

दीपू के पिता ने एक और खुलासा किया कि हत्या के लिए ईशनिंदा की कहानी साजिशन रची गई. उन्होंने एनडीटीवी से बांग्ला में कहा, "मेरे बेटे को नौकरी मिलने में किस्मत का साथ मिला, क्योंकि लॉटरी निकाली गई थी. वह बीए पास था और प्रमोशन के लिए भी तैयार था. लेकिन जिन लोगों को नौकरी नहीं मिली, उन्होंने उसकी हत्या की साजिश रची. उन्होंने उसे कई बार जान से मारने की धमकी दी थी. वह उन्हें अपनी नौकरी कैसे देता? इन्हीं लोगों ने फिर मैनेजर के पास जाकर शायद उसे रिश्वत दी. उन्होंने अफवाहें फैलाई कि दीपू दास ने ईशनिंदा की है."

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वहीं दीपू के गांव वालों ने कहा कि दीपू दास की मौत इस बात की याद दिलाती है कि आज के अस्थिर बांग्लादेश में हिंदुओं को अपने अरमानों पर लगाम लगाना होगा, नहीं तो उन्हें अपनी जान गंवानी पड़ेगी. उन्होंने चिंता व्यक्त की कि दीपू दास की हत्या ने समुदाय में भय का गहरा घाव छोड़ दिया है.

बता दें कि 29 साल के दीपू चंद्र दास को 18 दिसंबर को कथित झूठे ईशनिंदा आरोपों के बाद भीड़ ने बेरहमी से पीट-पीटकर मार डाला. कट्टरपंथियों ने हत्या के बाद उसके शव को पेड़ से लटकाया और फिर आग लगा दी. इस जघन्य घटना की दुनिया भर में कड़ी निंदा हो रही है.

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