- बांग्लादेश में अगले साल 12 फरवरी को नेशनल असेंबली चुनाव होंगे, जिन पर भारत की करीबी नजर होगी
- जमात-ए-इस्लामी ने आठ समान विचारधारा वाली पार्टियों के साथ गठबंधन बनाकर चुनाव की तैयारियां तेज कर दी हैं
- गठबंधन ने उम्मीदवारों के चयन और सीट बंटवारे का काम अंतिम चरण में पहुंचा दिया है, जल्द लिस्ट घोषित होगी
हिंसा से जूझते बांग्लादेश में अगले साल 12 फरवरी को चुनाव (Bangladesh Election 2026) होने हैं और भारत की इसपर करीबी नजर होगी. अपने भारत विरोधी और कट्टरपंथी सोच के लिए जाने जाने वाली जमात-ए-इस्लामी ने इस चुनाव को लेकर अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं. 13वें नेशनल असेंबली चुनाव से पहले, जमात-ए-इस्लामी के नेतृत्व में आठ ऐसी पार्टियां एक गठबंधन बना रही हैं, जो समान विचारधारा वाली हैं. इन पार्टियों के बीच सीट बंटवारे पर काम तेजी से किया जा रहा है. बांग्लादेश के न्यूज चैनल बांग्ला न्यूज 24 की रिपोर्ट के अनुसार इस गठबंधन के नेताओं का दावा है कि इस्लामी वोटों को एकजुट करने के उद्देश्य से उम्मीदवारों का चयन और सीट वितरण लगभग अंतिम चरण में पहुंच गया है. उन्होंने यह भी कहा कि उम्मीदवारों की अंतिम लिस्ट जल्द ही घोषित की जाएगी.
जमात ए इस्लामी का प्लान क्या है?
शेख हसीना को सत्ता से बाहर करने के बाद बांग्लादेश में जमात-ए-इस्लामी की शक्ति बहुत बढ़ गई है. जमात-ए-इस्लामी ने इस्लामी पार्टियों को एक मंच पर लाने की प्लानिंग की है. अब इसने समान विचारधारा वाली 8 इस्लामी पार्टियों के साथ एक गठबंधन बनाया गया है. चुनावों के संभावित उम्मीदवारों ने पहले से ही अपने-अपने क्षेत्रों में प्रचार और संगठनात्मक गतिविधियों को मजबूत कर लिया है.
रिपोर्ट के अनुसार एक्सपर्ट्स का मानना है कि भले जमात-ए-इस्लामी का अतीत में विभिन्न मुद्दों पर अन्य इस्लामी दलों के साथ मतभेद था, लेकिन शेख हसीना को हटाने जाने वाले विद्रोह के बाद इस्लामवादियों के बीच एक तरह की एकता देखी जा रही है. इस एकता का नेतृत्व जमात-ए-इस्लामी कर रहा है. विश्लेषकों का मानना है कि इसका लक्ष्य बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ( BNP) को दरकिनार कर एक बड़ी राजनीतिक ताकत के रूप में उभरना है. पूर्व पीएम और BNP की सुप्रीमो खालिद जिया अभी हॉस्पिटल में हैं और उनके बेटे और पार्टी के अंतरिम मुखिया तारिक रहमान 25 दिसंबर के आसपास बांग्लादेश वापस लौट रहे हैं.













