PM पद और देश छोड़ा, लेकिन मुसीबतें नहीं छोड़ रही साथ... शेख हसीना पर दर्ज हुआ मर्डर का केस

बांग्लादेश में नौकरी में आरक्षण की विवादास्पद व्यवस्था के खिलाफ प्रदर्शन और हिंसा के बीच 76 वर्षीय शेख हसीना को 5 अगस्त को देश छोड़ना पड़ा था. तब से वो भारत में हैं. उनके खिलाफ दर्ज किया गया यह पहला मामला है.

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शेख हसीना 20 साल बांग्लादेश की सत्ता में रहीं. वो 23 जून को 1996 में पहली बार पीएम बनी थीं.
नई दिल्ली/ढाका:

बांग्लादेश में हिंसा के बीच शेख हसीना (Sheikh Hasina) के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफे और देश छोड़ने के बाद उनकी मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. एक तरफ तो उन्हें किसी देश में शरण नहीं मिल पा रही है. दूसरी ओर, बांग्लादेश की अदालत में उनके खिलाफ मर्डर केस की सुनवाई शुरू हुई है. पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनके 6 सहयोगियों के खिलाफ पिछले महीने हुई हिंसक झड़पों के दौरान किराने की एक दुकान के मालिक की मौत को लेकर हत्या का मामला दर्ज किया गया था.

बांग्लादेश में नौकरी में आरक्षण की विवादास्पद व्यवस्था के खिलाफ प्रदर्शन और हिंसा के बीच 76 वर्षीय शेख हसीना को 5 अगस्त को देश छोड़ना पड़ा था. तब से वो भारत में हैं. उनके खिलाफ दर्ज किया गया यह पहला मामला है. 

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क्या है पूरा मामला?
यह मामला किराने की दुकान के मालिक अबू सईद के परिचित आमिर हमजा शातिर ने दर्ज कराया है. मोहम्मदपुर के रहने वाले शातिल ने ढाका मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अदालत में शेख हसीना और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज कराया था. रिपोर्ट के मुताबिक, अबू सईद की 19 जुलाई को मोहम्मदपुर में आरक्षण विरोधी प्रदर्शन के समर्थन में निकाले गए जुलूस के दौरान पुलिस फायरिंग में मौत हो गई थी. 

हसीना के साथ इन्हें भी बनाया गया आरोपी
शेख हसीना के अलावा अवामी लीग के महासचिव ओबैदुल कादर, तत्कालीन गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल, पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून, पूर्व डीबी प्रमुख हारुन रशीद, पूर्व डीएमपी आयुक्त हबीबुर रहमान और पूर्व डीएमपी संयुक्त आयुक्त बिप्लब कुमार सरकार को भी आरोपी बनाया गया है.

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हिंसा में अब तक कितनी मौतें?
बांग्लादेश के अखबार ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक,  बांग्लादेश में 5 अगस्त को हसीना सरकार के गिरने के बाद देशभर में भड़की हिंसा की घटनाओं में 230 से ज्यादा लोग मारे गए हैं. जुलाई के मध्य में पहली बार कोटा विरोधी प्रदर्शन शुरू होने के बाद से इस हिंसा में मरने वालों की कुल संख्या 560 हो चुकी है. हसीना के नेतृत्व वाली सरकार के पतन के बाद बांग्लादेश में एक अंतरिम सरकार का गठन किया गया है. 84 साल के मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का मुख्य सलाहकार बनाया गया है. यूनुस को 2006 में शांति का नोबेल पुरस्कार मिल चुका है.  

इस केस में प्राइवेट सिटिजन के वकील मामून मियां ने कहा, "शेख हसीना और 6 लोगों के खिलाफ केस दर्ज हुआ है. ढाका मेट्रोपोलिटन कोर्ट ने पुलिस को सभी आरोपियों के खिलाफ मर्डर केस मंजूर करने का आदेश दिया है. बांग्लादेश के क्रिमिनल इंवेस्टिगेशन लॉ के मुताबिक, कोई मामला कोर्ट में जाने का ये पहला कदम होता है.

शेख हसीना पर मानव अधिकारों के उल्लंघन का आरोप
बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार पर न सिर्फ मर्डर बल्कि, मानव अधिकारों के उल्लंघन का भी आरोप है, जिसमें हजारों राजनीतिक विरोधियों की हत्या का आरोप शामिल है.

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हसीना के भारत में होने से संबंधों पर नहीं पड़ेगा असर- सलाहकार
इस बीच बांग्लादेश सरकार के एक टॉप एडवाइजर ने कहा कि शेख हसीना के बांग्लादेश में रहने से भारत-बांग्लादेश संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ेगा. विदेश मंत्रालय के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन ने कहा कि ढाका हमेशा नई दिल्ली के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने की कोशिश करेगा. हुसैन ने कहा कि भारत और बांग्लादेश के हित पर किसी एक इंसान से प्रभावित नहीं हो सकते. दोनों देशों के अपने-अपने हित हैं.

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