नेपाल में हटाया जाएगा सोशल मीडिया पर लगा प्रतिबंध, 'Gen Z' आंदोलन के आगे झुकी सरकार

नेपाल में हिंसक प्रदर्शन के दौरान कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई, जबकि 300 से अधिक लोग घायल हो गए. नेपाल के गृह मंत्री रमेश लेखक ने देश में मौजूदा हालात को लेकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया.

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  • नेपाल सरकार ने सोशल मीडिया पर लगाए गए प्रतिबंध को हिंसक प्रदर्शन के बाद वापस लिया है.
  • हिंसक प्रदर्शनों में कम से कम 20 लोगों की मौत और 300 से अधिक लोग घायल हुए हैं.
  • नेपाल के गृह मंत्री रमेश लेखक ने हालात बिगड़ने के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.
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काठमांडू:

नेपाल में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाए जाने के विरोध में राजधानी काठमांडू और कुछ अन्य इलाकों में सोमवार को युवाओं के हुए हिंसक प्रदर्शन के बाद सरकार ने अपना फैसला वापस ले लिया है. नेपाल सरकार के प्रवक्ता और सूचना तथा संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग ने फैसले का ऐलान करते हुए कहा कि सोशल मीडिया पर हमने बैन किया तो इसके बहाने ये घटना कर दी गई. इसको देखते हुए हमने बैन हटाने का फैसला किया है. सोशल मीडिया कंपनियों पर बड़ा आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि हमारे बुलाने पर हमें गरीब और भ्रष्टाचारी देश कहकर हमसे संपर्क करने नहीं आए. खुद हमारे देश में आकर व्यापार कर रहे हैं और हमें भ्रष्टाचारी कह रहे थे. इन कंपनियों ने कहा कि हम तुम्हारे देश का संविधान और कानून नहीं मानेंगे. बावजूद इसके हमने उन्हें 7 दिन का समय दिया था, लेकिन वो नहीं आए.

मृतकों के परिजनों को उचित राहत देगी सरकार

सूचना तथा संचार मंत्री ने कहा, इससे जुड़ा एक मामला सुप्रीम कोर्ट में भी चल रहा था. उसपर भी फैसला आया कि सोशल मीडिया को रेगुलेट किए जाने की ज़रूरत है. कोर्ट के फ़ैसले के आधार पर सोशल मीडिया बैन किया गया. उन्होंने कहा आंदोलन स्थगित करने के लिए जेन जी से आग्रह किया गया है. गृह मंत्री ने इस्तीफ़े की पेशकश की है. मृतकों के परिजनों को उचित राहत सरकार देगी. साथ ही घायलों का मुफ्त इलाज सरकार कराएगी, उपद्रव करने वालों की पहचान कराई जाएगी. घटना की जांच के लिए न्यायिक कमेटी बनेगी, ये कमिटी 15 दिन में रिपोर्ट देगी.

हिसंक प्रदर्शन में हुई 20 लोगों की मौत

बता दें कि हिंसक प्रदर्शन के दौरान कम से कम 20 लोगों की मौत हो गई, जबकि 300 से अधिक लोग घायल हो गए. नेपाल के गृह मंत्री रमेश लेखक ने देश में मौजूदा हालात को लेकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया. हालात बिगड़ने के बाद नेपाली सेना को राजधानी काठमांडू में तैनात किया गया. सेना के जवानों ने नए बानेश्वोर में संसद परिसर के आसपास के रास्तों पर नियंत्रण कर लिया है.

प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने मौतों पर दुख व्यक्त किया और आरोप लगाया कि 'शांतिपूर्ण प्रदर्शन में कुछ अवांछित तत्वों की घुसपैठ” हुई, जिसके कारण सरकार को सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान से बचाने के लिए बल प्रयोग करना पड़ा. उन्होंने कहा, “सरकार का इरादा सोशल मीडिया साइटों पर प्रतिबंध लगाने का नहीं, बल्कि उन्हें नियंत्रित करने का था.' उन्होंने यह भी घोषणा की कि एक जांच समिति गठित की जाएगी जो 15 दिनों में रिपोर्ट देगी.

राजधानी के कई हिस्सों में कर्फ्यू

हिंसा के बाद, स्थानीय प्रशासन ने राजधानी के कई हिस्सों में कर्फ्यू लगा दिया. काठमांडू के अलावा, ललितपुर जिले, पोखरा, बुटवल और सुनसरी जिले के इटाहरी में भी कर्फ्यू लगा दिया गया था. मुख्य जिला अधिकारी छबि लाल रिजाल ने एक नोटिस में कहा, ‘‘प्रतिबंधित क्षेत्र में लोगों के आवागमन, प्रदर्शन, बैठक, सभा या धरना-प्रदर्शन की अनुमति नहीं होगी.''

नेपाल सरकार ने अनिवार्य पंजीकरण प्रक्रिया का पालन नहीं करने पर चार सितंबर को फेसबुक, व्हाट्सऐप और एक्स सहित 26 सोशल मीडिया मंचों पर प्रतिबंध लगा दिया था. जिसके बाद ये जिन जी की और से ये हिसंक प्रदर्शन किया गया.

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