पाकिस्‍तान में छात्राओं पर प्रतिबंध... कॉलेज ने राजनीतिक कार्यक्रमों में शामिल होने से रोका : रिपोर्ट

पाकिस्‍तानी अख्‍बार डॉन के मुताबिक, कॉलेज के मुख्य प्रॉक्टर प्रो रियाज़ मोहम्मद ने को-एजुकेशन संस्थानों में सामने आई घटनाओं का हवाला देते हुए फैसले को सही ठहराया और कहा कि उनके कॉलेज का लक्ष्य ऐसी घटनाओं को रोकना है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
पाकिस्‍तान में कॉलेज ने छात्राओं को राजनीतिक कार्यक्रमों में शामिल होने से रोका : रिपोर्ट
नई दिल्‍ली:

पाकिस्‍तान में महिलाओं पर कई प्रतिबंध लगते रहे हैं. स्‍थानीय अखबार डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, अब सरकारी पोस्‍ट ग्रेजुएट यूनिवसिर्टी, टिमरगारा ने निर्देश जारी कर छात्राओं को परिसर में आने-जाने के दौरान राजनीतिक कार्यक्रमों, जन्मदिन समारोहों और अन्य पाठ्येतर गतिविधियों में भाग लेने से परहेज करने का निर्देश दिया है. कॉलेज के मुख्य प्रॉक्टर प्रो रियाज़ मोहम्मद ने औपचारिक रूप से इन निर्देशों को प्रसारित किया, जिसमें स्थानीय रीति-रिवाजों का पालन करने के महत्व पर जोर दिया गया और कहा गया कि यह छात्राओं के सर्वोत्तम हित में है.

डॉन के मुताबिक, उन्होंने को-एजुकेशन संस्थानों में सामने आई घटनाओं का हवाला देते हुए फैसले को सही ठहराया और कहा कि उनके कॉलेज का लक्ष्य ऐसी घटनाओं को रोकना है. इसके अतिरिक्त, प्रोफेसर रियाज़ ने अभिभावकों से शैक्षणिक मानकों को बढ़ाने में सहायता के लिए प्रशासन के साथ संचार बनाए रखने का आग्रह किया.

अदनजई क्षेत्र के सरकारी हाई स्कूल एडम ढेराई में आयोजित एक अलग कार्यक्रम में, शिक्षक सैयदुल इबरार के रिटायर्मेंट के मौके पर एक समारोह के दौरान वक्ताओं ने समाज में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला. पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी सईद खान, प्रिंसिपल अयाज खान और बहादर ज़ेब के साथ-साथ पूर्व प्रिंसिपल गुल रहमान, डॉ इहतेशामुल हक, कवि जहान बख्त जहां और कारी तहसीनुल्लाह कादरी सहित अन्य गणमान्य लोगों ने सेवानिवृत्त शिक्षक की उनके कर्तव्यों के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के लिए सराहना की.

डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, समारोह के दौरान, शिक्षकों, छात्रों और दोस्तों सहित उपस्थित लोगों ने सैयदुल इबरार को उनकी समर्पित सेवा के लिए सराहना के प्रतीक के रूप में उपहार दिए. यह एक गंभीर वास्तविकता है कि पाकिस्तान महिलाओं के रहने के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण देशों में से एक है, जो सामाजिक अधिकारों से इनकार, भेदभाव, सम्मान हत्या, बलात्कार, अपहरण, वैवाहिक दुर्व्यवहार, जबरन विवाह और जबरन गर्भपात से स्पष्ट है. 

यह कड़वी सच्चाई पाकिस्तान को महिलाओं के लिए छठी सबसे असुरक्षित जगह बनाती है. कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन पाकिस्तान में महिलाओं की असुरक्षा की पुष्टि करते हैं. द नेशन की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की 2018 की रिपोर्ट के अनुसार, महिला सशक्तिकरण के मामले में पाकिस्तान 149 देशों में से 148वें स्थान पर है.

अफसोस की बात है कि पाकिस्तानी महिलाएं अक्सर खुद को सांस्कृतिक रूप से हाशिए पर पाती हैं, खासकर शिक्षा और प्रजनन और घरेलू कर्तव्यों में उनकी भूमिकाओं के लिए मान्यता के संबंध में. 45 प्रतिशत महिला साक्षरता, पुरुष साक्षरता दर 69 प्रतिशत की तुलना में कम है. माता-पिता की अशिक्षा और महिलाओं के संबंध में इस्लामी शिक्षाओं की गलत व्याख्याएं इस असमानता में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं.

Advertisement

द नेशन की रिपोर्ट के अनुसार, लैंगिक असमानता एक वैश्विक चिंता है, लेकिन इसका प्रभाव पाकिस्तान में गहराई से निहित है, फिर भी लिंग के प्रति व्यापक अज्ञानता और पक्षपाती रवैये के कारण इस मुद्दे पर समाज की प्रतिक्रिया अपर्याप्त है.

Featured Video Of The Day
NDTV Indian Of The Year 2025: IISc की प्रोफेसर Gali Madhavi Latha को ‘साइंस आइकन ऑफ द ईयर’
Topics mentioned in this article