- भारतीय मूल के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और Axiom-4 मिशन के अन्य तीन सदस्य 14 जुलाई को धरती पर लौटेंगे, NASA ने ये जानकारी दी.
- शुभांशु शुक्ला ने 25 जून को फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से उड़ान भरी और 26 जून को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंच गए थे.
- Axiom-4 मिशन के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों ने लगभग 230 बार पृथ्वी की परिक्रमा की और 96.5 लाख किलोमीटर की दूरी तय की.
भारतीय मूल के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और Axiom-4 मिशन के अन्य तीन सदस्यों की धरती पर वापसी 14 जुलाई को होगी. NASA ने गुरुवार को यह जानकारी दी. शुक्ला इस मिशन के तहत 25 जून को फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से रवाना हुए थे और 26 जून को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर पहुंचे थे. NASA के कॉमर्शियल क्रू प्रोग्राम के मैनेजर स्टीव स्टिच ने बताया कि 'Axiom-4 मिशन के प्रगति पर लगातार नजर रखी जा रही है. हाई बीटा पीरियड के बाद 14 जुलाई को मिशन की 'अनडॉकिंग' का लक्ष्य तय किया गया है.'
'हाई बीटा पीरियड' वो समय होता है जब अंतरिक्ष स्टेशन का सूरज के साथ कोण बहुत ज्यादा हो जाता है, जिससे उसे लगातार सूर्य की रोशनी मिलती है और तापमान नियंत्रण बेहद जरूरी हो जाता है.
230 बार धरती का चक्कर
Axiom-4 के इस दो हफ्तों के मिशन के दौरान शुभांशु शुक्ला और उनके साथी पेगी व्हिटसन, स्लावोस उज़नान्स्की-विस्निवस्की और तिबोर कपु ने करीब 230 बार पृथ्वी की परिक्रमा की और 96.5 लाख किलोमीटर की दूरी तय की. बता दें कि शुभांशु शुक्ला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संवाद किया, ISRO के वैज्ञानिकों से बात की, स्कूली छात्रों को लाइव सेशन में संबोधित किया और HAM रेडियो के जरिए ISRO के विभिन्न केंद्रों से भी जुड़े. Axiom Space के अनुसार, अंतरिक्ष यात्रियों ने अपने खाली समय में पृथ्वी की तस्वीरें खींचीं, वीडियो बनाए और अपनों से संपर्क किया.
60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग
Ax-4 मिशन के तहत 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग किए गए, जिनमें बायोमेडिकल साइंस, न्यूरोसाइंस, स्पेस टेक्नोलॉजी, कृषि और मटेरियल साइंस शामिल हैं. ये रिसर्च न केवल अंतरिक्ष में मानव जीवन को आसान बनाने में मदद करेंगे, बल्कि धरती पर भी बीमारियों के इलाज और स्वास्थ्य निगरानी में क्रांतिकारी बदलाव ला सकते हैं. Axiom Space ने कहा, 'हर परीक्षण और डेटा बिंदु हमें लो-अर्थ ऑर्बिट में मानव जीवन और उससे आगे के अंतरिक्ष अन्वेषण की दिशा में एक कदम और करीब ले जाता है.'