2 अगस्त 1990 का वो दिन फिर क्यों याद आया? गल्फ वॉर में कैसे फंसे थे ब्रिटिश एयरवेज के 367 यात्री

दुनिया में एक से बढ़कर एक घटनाएं होती रही हैं. यह बताती हैं कि कभी भी कुछ भी हो सकता है. कुछ ऐसा ही हुआ था ब्रिटिश एयरवेज के 367 यात्रियों के साथ...पढ़ें पूरी कहानी...

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ब्रिटिश एयरवेज ने इस मामले में अपनी किसी भी गलती से इनकार किया है.

वह साल था 1990 और 2 अगस्त का दिन. ब्रिटिश एयरवेज के कुआलालंपुर जा रहे एक विमान के 367 यात्रियों और क्रू मेंबर्स को कुवैत में उतार लिया गया. यह सब सद्दाम हुसैन के इशारे पर किया गया था. चार महीने तक बंधक बने रहे इन यात्रियों को मानव शील्ड के रूप में इस्तेमाल किया गया. अब करीब 34 साल बाद इन यात्रियों ने इंग्लैंड की सरकार और ब्रिटिश एयरवेज के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की है. इस घटना में ऐसी-ऐसी बातें सामने आती रही हैं, जो किसी सिनेमा में भी शायद ही देखने को मिली हों.  

गल्फ वॉर शुरू होने के 2 घंटे बाद ही बने बंधक

एएफपी के अनुसार, इंग्लैंड की एक कानूनी फर्म मैक्यू जूरी एंड पार्टनर्स ने सोमवार को कहा कि 1990 में कुवैत में बंधक बनाए गए ब्रिटिश एयरवेज (बीए) की उड़ान के यात्रियों और क्रू मेंबर्स ने यूके सरकार और एयरलाइन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की है. इराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन के कुवैत पर हमले के कुछ घंटों बाद उस वर्ष 2 अगस्त को कुआलालंपुर जा रहे विमान से जब बीए फ्लाइट 149 खाड़ी राज्य में उतरा तो उसमें सवार लोगों को उतार दिया गया. 367 यात्रियों और चालक दल में से कुछ ने चार महीने से अधिक समय कैद में बिताया. इन्हें पहले खाड़ी युद्ध के दौरान इराकी तानाशाह के सैनिकों पर अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के हमलों से बचाव के लिए मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल किया गया.

क्या सच में इंग्लैंड की सरकार को पता था?

मैक्यू जूरी एंड पार्टनर्स ने कहा कि इन यात्रियों में से 94 लोगों ने लंदन के उच्च न्यायालय में एक सिविल दावा दायर किया है, जिसमें ब्रिटेन की सरकार और बीए पर नागरिकों को "जानबूझकर खतरे में डालने" का आरोप लगाया गया है.कानूनी फर्म ने कहा, "दावा करने वाले सभी लोगों को उस दौरान गंभीर शारीरिक और मानसिक क्षति हुई, जिसके परिणाम आज भी महसूस किए जाते हैं." कार्रवाई में दावा किया गया है कि यूके सरकार और एयरलाइन को "पता था कि आक्रमण शुरू हो गया है" लेकिन फिर भी उड़ान को उतरने की अनुमति दी गई. फर्म ने बताया कि यूके सरकार और एयरलाइन ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि उड़ान का इस्तेमाल "कब्जे वाले कुवैत में एक गुप्त विशेष ऑपरेशन टीम को शामिल करने" के लिए किया गया था. 

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उस फ्लाइट में सवार और सिविल दावा करने वाले बैरी मैनर्स ने कहा, "हमारे साथ नागरिकों के रूप में नहीं, बल्कि वाणिज्यिक और राजनीतिक लाभ के लिए खर्च किए जा सकने वाले मोहरे के रूप में व्यवहार किया गया. वर्षों की लीपापोती और खुले आम इनकार पर जीत हमारी राजनीतिक और न्यायिक प्रक्रिया में विश्वास बहाल करने में मदद करेगी."

नवंबर 2021 में जारी ब्रिटिश सरकार की फाइलों से पता चला कि कुवैत में ब्रिटेन के राजदूत ने फ्लाइट के उतरने से पहले लंदन को इराकी घुसपैठ की रिपोर्ट के बारे में सूचित किया था, लेकिन यह संदेश बीए तक नहीं पहुंचाया गया.ऐसे दावे भी किए गए हैं कि लंदन ने जानबूझकर अंडरकवर जासूसों को तैनात करने के लिए उड़ान का उपयोग करके यात्रियों को जोखिम में डाला और उन्हें विमान में चढ़ने की अनुमति देने के लिए उड़ान में देरी की गई. हालांकि इन बातों का यूके सरकार ने खंडन किया है. यूके सरकार ने चल रहे कानूनी मामलों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. वहीं
ब्रिटिश एयरवेज ने भी हमेशा लापरवाही, साजिश और लीपापोती के आरोपों से इनकार किया है.

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फ्रांस की अदालत ने माना था दोषी

एयरलाइन ने एएफपी की टिप्पणी के अनुरोध का जवाब नहीं दिया, लेकिन पिछले साल कहा था कि 2021 में जारी किए गए रिकॉर्ड "पुष्टि करते हैं कि ब्रिटिश एयरवेज को आक्रमण के बारे में चेतावनी नहीं दी गई थी." मैक्यू जूरी एंड पार्टनर्स ने सितंबर में मुकदमा दायर करने के अपने इरादे की घोषणा की थी, और तब कहा था कि बंधकों में से प्रत्येक नुकसान के लिए औसतन £170,000 ($213,000) का दावा कर सकता है. 2003 में, एक फ्रांसीसी अदालत ने बीए को उड़ान के फ्रांसीसी बंधकों को 1.67 मिलियन यूरो का भुगतान करने का आदेश दिया था. 

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