एस्ट्राजेनेका पीएलसी की कोविड-19 वैक्सीन को एक आसान फॉर्मूलेशन में विकसित करने की महत्वाकांक्षा, जो संक्रमण को रोकने में मदद कर सकता है, उसे सोमवार को एक झटका लगा. शुरुआती परीक्षण में नेजल स्प्रे विफल हो गया. ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के अनुसार, स्प्रे वैक्सीन ने नाक के म्यूकोसा टीसू या शरीर के अन्य हिस्सों में एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया हासिल नहीं की. लंदन में एस्ट्रा के शेयर भी लगभग 1% तक गिर गए.
ब्लूमबर्ग के मुताबिक यूके ड्रगमेकर वैक्सीन के इस तरीके की जांच करने वाली मुट्ठी भर कंपनियों में से एक है. उन्होंने तर्क दिया कि नाक के जरिए टीकाकरण से वायरस के प्रवेश करने वाली जगह पर ही उसे खत्म किया जा सकता है. भारत और चीन में, भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड और कैनसिनो बायोलॉजिक्स इंक के पास नाक के उत्पाद हैं जिन्हें स्थानीय नियामकों से बूस्टर के रूप में मंजूरी मिली है.
एस्ट्रा परीक्षण के प्रमुख अन्वेषक, सैंडी डगलस ने कहा कि विफल का ये झटका बताता है कि "नाक स्प्रे को एक विश्वसनीय विकल्प बनाने में चुनौतियां होने की संभावना है." शुरुआत में 12 लोगों में बूस्टर के रूप में टीके का अध्ययन किया गया. डगलस के अनुसार, चीन और भारत में स्वीकृत नाक उत्पादों का समर्थन करने वाले पीयर-रिव्यू डेटा को जारी नहीं किया गया है.
उन्होंने एक बयान में कहा, "हमें टीकों को विकसित करने के लिए तत्काल और अधिक शोध की जरूरत है, जो सांस से होने वाली इस महामारी कोविड वायरस को फैलने से रोक सके और जो बड़े पैमाने पर सुरक्षित और व्यावहारिक हों."
कार्डिफ विश्वविद्यालय में संक्रामक रोगों के एक पाठक एंड्रयू फ्रीडमैन ने परीक्षण के परिणामों को निराशाजनक बताया. हालांकि ये भी कहा कि "कोविड-19 और अन्य श्वसन संक्रमणों से बचाने के लिए अधिक प्रभावी इंट्रानैसल टीके विकसित करने के लिए आगे के काम को रोकना नहीं चाहिए."
ऑक्सफोर्ड के जेनर इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों के साथ विकसित एस्ट्रा का इंजेक्शन कोविड वैक्सीन, मॉडर्न इंक से मैसेंजर आरएनए शॉट्स और फाइजर इंक और बायोएनटेक एसई की साझेदारी के रूप में व्यापक रूप से उपयोग नहीं किया गया है. एस्ट्रा फ्लूमिस्ट, नाक स्प्रे के रूप में एक फ्लू वैक्सीन भी बनाती है, जिसे सुइयों के विकल्प के रूप में देखा गया है, जो संभावित रूप से वायरल हमले और सांस लेने वाले रास्ते पर सुरक्षा प्रदान कर सकता है.
ऑक्सफोर्ड परीक्षण, एस्ट्रा और एनआईएचआर ऑक्सफोर्ड बायोमेडिकल रिसर्च सेंटर द्वारा समर्थित, 2021 के मध्य में शुरू हुआ, 2022 में समाप्त हुआ और पूर्व संक्रमणों के आधार पर प्रतिभागियों को बाहर नहीं किया गया. डगलस ने कहा कि विफलता के संभावित कारणों में यह शामिल है कि टीका पेट में निगल लिया और नष्ट हो सकता है. बयान में कहा गया है कि निष्कर्ष द लैंसेट की ईबायोमेडिसिन ओपन एक्सेस जर्नल में प्रकाशित हुए थे.