'असीम मुनीर का कद बढ़ना पाकिस्तान के पतन का प्रतीक', सिंधी नेता शफी बुरफत का बड़ा हमला

पाकिस्तान के आर्मी चीफ असीम मुनीर के उस बयान पर बवाल मच गया है जिसमें उन्होंने संकट के समय 'अल्लाह की मदद' मिलने की बात कही थी. सिंधी नेता शफी बुर्फत ने बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि पाकिस्तान की सांसें अल्लाह नहीं, बल्कि चीन की सैन्य तकनीक और अमेरिका के डॉलर पर टिकी हैं.

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सिंधी नेता का बड़ा दावा: असीम मुनीर का 'फील्ड मार्शल' बनना पाकिस्तान के पतन का संकेत (फाइल फोटो)

Islamabad News: पाकिस्तान की सत्ता के केंद्र में बैठे आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर (General Asim Munir) अब इंटरनेशनल लेवल पर तीखी आलोचनाओं के घेरे में हैं. जेय सिंध मुत्तहिदा महाज (JSMM) के चेयरमैन और प्रमुख सिंधी नेता शफी बुर्फत (Shafi Burfat) ने मुनीर को 'सेल्फ डिक्लेयर्ड फील्ड मार्शल' करार देते हुए कहा है कि उनका प्रमोशन सैन्य बहादुरी नहीं, बल्कि पाकिस्तान के संस्थानों के पतन होने का प्रतीक है. बुर्फत के मुताबिक, मुनीर ने आज तक न तो कोई अंतरराष्ट्रीय युद्ध लड़ा है और न ही कोई बड़ी घरेलू जंग जीती है, फिर भी वे सबसे ऊंचे पद पर काबिज हैं.

'ऐसे लोग संस्थाओं को तबाह कर देते हैं'

बुर्फत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि जब कोई अपनी योग्यता के बजाय दबाव या जोर-जबरदस्ती से पद और उपाधियां हासिल करता है, तो वह उसकी मानसिक असुरक्षा को दर्शाता है. मुनीर का बड़े पदों और धार्मिक प्रतीकों के प्रति लगाव यह दिखाता है कि उनका आत्मविश्वास कमजोर है और वे केवल सत्ता के जरिए अपनी अहमियत साबित करना चाहते हैं. इतिहास गवाह है कि ऐसे लोग देश नहीं बनाते, बल्कि संस्थाओं को तबाह कर देते हैं.

'टू-नेशन थ्योरी' पर जनरल मुनीर को घेरा

मुनीर के उस बयान पर कि हिंदू और मुस्लिम अपनी अलग धार्मिक मान्यताओं के कारण दो अलग राष्ट्र हैं, बुर्फत ने कहा कि उन्हें राजनीति विज्ञान की समझ ही नहीं है. बुर्फत का तर्क है कि राष्ट्र केवल धर्म के आधार पर नहीं बनते, बल्कि उनका आधार साझा इतिहास, जमीन, सामूहिक यादें, आर्थिक हित और राजनीतिक भविष्य होता है. मुनीर के इस बयान ने दुनिया के सामने पाक सैन्य नेतृत्व की बौद्धिक शून्यता (पढ़ाई-लिखाई और समझ की कमी) को उजागर कर दिया है.

'खुदा की मदद' या 'विदेशी तकनीक'?

पाकिस्तान के आर्थिक और राजनीतिक संकट के दौरान असीम मुनीर ने कहा था कि देश ने "अल्लाह की मदद" महसूस की. इस पर पलटवार करते हुए बुर्फत ने कहा कि हकीकत में पाकिस्तान चीन की सैन्य तकनीक, उसकी खुफिया जानकारी, ड्रोन क्षमताओं और अमेरिका से आने वाले डॉलर (वित्तीय प्रवाह) पर टिका हुआ है. विदेशी मदद को "दैवीय हस्तक्षेप" बताना झूठ है और आज के दौर में यह जनता की समझदारी का अपमान है.

सेना और जनता के बीच 'महायुद्ध'

मुनीर के इस दावे को बुर्फत ने "सबसे बड़ा सफेद झूठ" बताया कि "सेना और जनता एक ही पेज पर हैं." उन्होंने सच्चाई बताते हुए कहा, 'पंजाबी प्रभुत्व वाली सेना को कब्जा करने वाली ताकत मानते हैं. बलूचिस्तान में खुलेआम सेना का विरोध और प्रतिरोध चल रहा है. पश्तून में सैन्य ऑपरेशंस की वजह से सेना से भारी नाराज हैं. यहां तक कि पंजाब में भी लोगों ने कोर कमांडरों के घरों पर हमले किए हैं, जो इस बात का सबूत है कि सेना और जनता के रिश्ते टूट चुके हैं.'

'हिंसा का सब-कॉन्ट्रैक्टर'

बुर्फत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वे पाकिस्तान को ईमानदारी से देखें. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के पास दुनिया को देने के लिए आतंकवाद, अस्थिरता और वैश्विक शक्तियों के लिए 'किराए के दलाल' (Intermediary) के रूप में काम करने के अलावा कुछ नहीं है. पाकिस्तान एक जिम्मेदार देश के बजाय "हिंसा का सब-कॉन्ट्रैक्टर" (हिंसा का ठेका लेने वाला) बन गया है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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