जहरीले धुएं के बीच दिल्ली पर एक और आफत... 120 किमी/ घंटे की रफ्तार से भारत आई ज्वालामुखी की राख, बड़े अपडेट

Ash cloud from Ethiopia's volcano: इथियोपिया का हैली गुब्बी ज्वालामुखी फट पड़ा है और इससे उठी राख भारत की ओर आई है. 5 सवालों और उनके जवाबों के जरिए जानिए इसका आप पर क्या असर होगा और क्या ध्यान में रखना चाहिए.

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  • इथियोपिया के हैली गुब्बी ज्वालामुखी के विस्फोट से निकली राख का बादल उत्तर भारत के कई राज्यों तक पहुंच गया
  • राख का बादल गुजरात में प्रवेश कर राजस्थान, महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और हिमालयी क्षेत्रों तक फैला है
  • राख में ज्वालामुखीय राख, सल्फर डाइऑक्साइड और कांच तथा चट्टान के छोटे कण शामिल, यह वायुमंडल के ऊंचे स्तर पर हैं
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दिल्ली से लगभग 4500 किलोमीटर दूर एक देश में हुई एक प्राकृतिक घटना ने पूरे उत्तरी भारत के लोगों के लिए परेशानी का सबब खड़ा कर दिया. दरअसल इथियोपिया का हैली गुब्बी ज्वालामुखी फटा और इससे उठी राख भारत तक चली आई. इंडियामेटस्काई वेदर के अनुसार इस ज्वालामुखी राख का एक बादल सोमवार, 24 नवंबर की रात पश्चिमी भारत के कुछ हिस्सों में प्रवेश किया और फिर यह कई उत्तरी राज्यों में बढ़ा.

इस एक्सप्लेनर में हम आपको 5 सवालों में ही आपको हर जवाब देंगे.

भारत के कौन से शहर ज्वालामुखी राख की जद में आए?

मौसम विज्ञान सेवा इंडियामेटस्काई वेदर ने कहा कि राख का बादल गुजरात (पश्चिम की ओर) में प्रवेश किया और रात करीब 10 बजे तक राजस्थान, उत्तर-पश्चिम महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा और पंजाब की ओर बढ़ा और बाद में इसने हिमालय और अन्य क्षेत्रों को प्रभावित किया. 

ज्वालामुखी की राख में क्या है?

ज्वालामुखी के विस्फोट के बाद से ही यह राख का गुबार वायुमंडल में फैल गया है और यह 100-120 किमी/घंटा की गति से उत्तर भारत की ओर बढ़ा. रिपोर्ट के अनुसार यह 15,000-25,000 फीट से लेकर 45,000 फीट तक की ऊंचाई पर तेजी से आगे बढ़ रहा. इसमें ज्वालामुखीय राख, सल्फर डाइऑक्साइड और कांच और चट्टान के छोटे कण शामिल हैं.

क्या यह चिंता की वजह?

इंडियामेटस्काई वेदर ने चेतावनी दी थी कि राख के कारण आसमान सामान्य से अधिक गहरा और धुंधला दिखाई दे सकता है. साथ ही हवाई यातायात बाधित हो सकता है, जिससे देरी हो सकती है और यात्रा में अधिक समय लग सकता है. लेकिन इसका असर AQI पर देखने को नहीं मिलेगा. इंडियामेटस्काई वेदर के अनुसार यह खतरनाक नहीं है और सतह के AQI लेबल पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि राख के बादल सतह से 25,000 से 45,000 फीट ऊपर हैं. केवल पहले से मौजूद स्थानीय प्रदूषक ही हम पर हमेशा की तरह प्रभाव डालेंगे.

यह राख का गुबार वायुमंडल के मध्य स्तर पर है, इसलिए फ्लाइट्स में कुछ देरी और उनके उड़ान मार्गों में बदलाव के अलावा सतह पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. राख के कुछ कण सतह पर गिर सकते हैं लेकिन इसकी भी कम संभावना है. 

फ्लाइट्स पर क्या असर?

विमानन नियामक डीजीसीए ने सोमवार को ज्वालामुखी से निकलने वाली राख को लेकर एयरलाइंस और हवाई अड्डों को एक एडवाइजरी जारी की. अकासा एयर, इंडिगो और केएलएम उन एयरलाइनों में शामिल हैं, जिन्होंने सोमवार को राख के गुबार के कारण कुछ उड़ानें रद्द कर दीं. कोच्चि हवाई अड्डे से सोमवार को रवाना होने वाली दो अंतरराष्ट्रीय उड़ानें इथियोपिया में ज्वालामुखी विस्फोट के कारण रद्द कर दी गई हैं. 

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इथियोपिया में क्या हुआ?

एपी की रिपोर्ट के अनुसार इथियोपिया के अफार क्षेत्र में मौजूद हैली गुब्बी ज्वालामुखी रविवार सुबह फट गया, जिससे पड़ोसी गांव अफ़देरा धूल से ढक गया. एक स्थानीय प्रशासनिक अधिकार, मोहम्मद सईद ने कहा कि कोई हताहत नहीं हुआ, लेकिन विस्फोट से पशुपालकों के स्थानीय समुदाय पर आर्थिक प्रभाव पड़ सकता है. सीड ने एसोसिएटेड प्रेस को बताया कि हैली गुब्बी ज्वालामुखी में विस्फोट का कोई पिछला रिकॉर्ड नहीं था, और उन्हें निवासियों की आजीविका के लिए डर है.

अफ़ार क्षेत्र भूकंप के प्रति संवेदनशील है और एक निवासी, अहमद अब्देला ने कहा कि उन्होंने एक तेज़ आवाज़ सुनी और जिसे उन्होंने शॉक वेब बताया. उन्होंने कहा, "ऐसा लगा जैसे धुएं और राख के साथ अचानक कोई बम फेंका गया हो."

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