चीन (China) के विदेश मंत्री वांग यी (FM Wang Yi) अगले कुछ दिनों में कथित तौर पर भारत यात्रा (India) पर दिल्ली (Delhi) पहुंच रहे हैं. दो वर्ष पहले लद्दाख (Ladakh) में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर हिंसक झड़प के बाद चीन के किसी वरिष्ठ नेता की यह पहली भारत यात्रा होगी. हालांकि, दोनों पक्षों की ओर से आधिकारिक तौर पर इस यात्रा की पुष्टि नहीं की गई है. साल 2020 की गर्मियों के बाद से ही भारत और चीन के बीच संबंधों में तनाव रहा है. वर्ष 2020 में लद्दाख में कई जगह पर चीन के सैनिकों की घुसपैठ के कारण गालवान घाटी में एक अभूतपूर्व टकराव हुआ था, इसमें 20 भारतीय शहीद हुए थे और कई चीनी सैनिक मारे गए थे. दोनों देशों की सेनाओं ने अब तक कई दौर की बातचीत की है, लेकिन इसमें कोई सफलता नहीं मिली है.
वांग यी (Wang Yi) और विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) गलवान (Galwan) घाटी में हिंसक झड़प के बाद सितंबर 2020 में मास्को में और सितंबर 2021 में दुशांबे में दो बार मिल चुके हैं.
पैंगोंग झील क्षेत्र में झड़प के बाद 5 मई, 2020 को पूर्वी लद्दाख में सीमा गतिरोध शुरू हुआ था. 15 जून, 2020 को गालवान घाटी की झड़पों के बाद गतिरोध और बढ़ गया. इस झड़प में कम से कम 20 भारतीय और चार चीनी सैनिक मारे गए थे.
एक अन्य रिपोर्ट में दावा किया गया था कि संघर्ष के दौरान चीन के चार नहीं बल्कि 42 और चीनी सैनिक मारे गए थे.
मंत्री वांग यी ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि हाल के वर्षों में चीन और भारत को द्विपक्षीय संबंधों में "कुछ बाधाओं" का सामना करना पड़ा है.
यी ने सीमा मुद्दे के "निष्पक्ष और न्यायसंगत" समाधान के लिए समान स्तर पर बातचीत के ज़रिए अपने मतभेदों को दूर करने ज़ोर दिया। उन्होंने अमेरिका नाम लिए बिना कहा कि कुछ ताकतों ने हमेशा चीन और भारत के बीच तनाव पैदा करने की कोशिश की है.
सीमा मुद्दे और दोनों पड़ोसियों के बीच संबंधों पर एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि चीन और भारत के संबंधों को हाल के वर्षों में कुछ बाधाओं का सामना करना पड़ा है और ये दोनों देशों और नागरिकों के मौलिक हितों की पूर्ति नहीं करते हैं.
श्री जयशंकर ने पिछले महीने जोर देकर कहा था कि भारत लद्दाख सीमा मुद्दे पर चीन के साथ पूरी स्पष्टता के साथ बातचीत कर रहा है
उन्होंने पेरिस में एक थिंक टैंक में बातचीत के दौरान कहा कि वह यथास्थिति में किसी भी बदलाव या वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) को एकतरफा रूप से बदलने के किसी भी कोशिश के लिए सहमत नहीं होगा। इसलिए यह कितना भी जटिल हो, इसे (सुलझने में )कितना भी समय लगता है, (यह) कितना भी मुश्किल हो, मुझे लगता है कि यही स्पष्टता है जो हमारा मार्गदर्शन करती है.
चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा था कि चीन और भारत को "प्रतिद्वंद्वी के बजाय भागीदार" होना चाहिए.