- भारत की गणितीय विरासत गहन है और शून्य से लेकर पाई तक इसके प्राचीन योगदान वैश्विक मान्यता के पात्र हैं.
- अरबी अंकों को उनके वास्तविक मूल के आधार पर हिंदू अंक कहा जाना चाहिए, जो भारत में खोजे गए थे.
- भारत में शून्य का आविष्कार और दशमलव प्रणाली का विकास गणित और विज्ञान में क्रांतिकारी बदलाव लेकर आया.
गणित यानी मैथ्स. इसी के बल पर दुनिया में औद्योगिक क्रांति आई. कई आविष्कार हुए. मगर इस गणित को अंक देने वाला भारत ही है. हालांकि, इसे दुनिया में उस तरह से स्वीकार नहीं किया गया, जैसे पश्चिम की तरफ से किए गए आविष्कारों के लिए उन्हें श्रेय दिया गया. एनडीटीवी के विज्ञान संपादक पल्लव बागला ने अमेरिका के प्रसिद्ध प्रिंसटन विश्वविद्यालय में कार्यरत प्रो. मंजुल भार्गव से इस पर विशेष बातचीत की.
मंजुल भार्गव ने क्या माना
प्रो. मंजुल भार्गव ने कहा कि भारत की गणितीय विरासत गहन है, फिर भी इसे बहुत कम पहचाना गया है. अमेरिकी गणितज्ञ और फील्ड्स मेडलिस्ट प्रो. मंजुल भार्गव इस ऐतिहासिक भूल के सुधार का आग्रह करते हैं. वो तथाकथित अरबी अंकों को उनके वास्तविक मूल के आधार पर हिंदू अंक कहते हैं. वो मानते हैं कि शून्य से लेकर पाई तक, भारत के प्राचीन योगदान वैश्विक मान्यता के पात्र हैं.
अमेरिकी गणितज्ञ कहते हैं कि अब समय आ गया है कि अरबी अंकों के हिंदू नामकरण को मान्यता दी जाए और उसे हिंदू अंक कहा जाए. अंक 1 से 9 और शून्य, सभी भारत में खोजे गए. हिंदू अंक आठवीं शताब्दी में अरब जगत में पहुंचे. अल-ख़्वारिज़्मी जैसे अरब विद्वानों ने भी इन्हें "हिंदसा" (भारत से) कहा है. शून्य, पाई और बीजगणित की जड़ें भारत में गहरी हैं. बक्शाली पांडुलिपि से पता चलता है कि अंकों का प्रयोग भारत में 300 ई. से ही शुरू हो गया था.
एक नजर में जानिए भारत का गणित में योगदान
शून्य और दशमलव प्रणाली
- शून्य का आविष्कार: भारत में शून्य का आविष्कार हुआ, जिससे गणित और विज्ञान में क्रांति आई.
- दशमलव प्रणाली: भारतीय गणितज्ञों ने दशमलव प्रणाली का विकास किया, जो आज भी विश्वभर में उपयोग की जाती है.
बीजगणित और ज्यामिति
- बीजगणित: भारतीय गणितज्ञ आर्यभट्ट ने बीजगणित के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया.
- ज्यामिति: ब्रह्मगुप्त ने ज्यामिति में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिसमें चक्रीय चतुर्भुज के क्षेत्रफल का सूत्र शामिल है.
त्रिकोणमिति और कलन
- त्रिकोणमिति: भारतीय गणितज्ञों ने त्रिकोणमिति के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिसमें साइन और कोसाइन के मानों की गणना शामिल है.
- कलन: केरल स्कूल ऑफ मैथमेटिक्स के गणितज्ञों ने कलन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिसमें अनंत श्रृंखला और फ्लक्सियंस की अवधारणा शामिल है.
अन्य योगदान
- आर्यभट्ट: आर्यभट्ट ने पृथ्वी के परिधि की गणना की और पृथ्वी के घूर्णन की अवधारणा प्रस्तुत की.
- ब्रह्मगुप्त: ब्रह्मगुप्त ने शून्य के साथ गणितीय संचालन के नियमों को परिभाषित किया और द्विघात समीकरणों के समाधान के लिए सूत्र दिया.