ईरान के अंडरग्राउंड परमाणु प्लांट को कैसे अमेरिका ने किया तबाह? Graphics से समझिए

फोर्डो में 83.7% तक यूरेनियम संवर्धन हो रहा था, जो परमाणु हथियार के लिए 90% के करीब है. अमेरिका और इजराइल का मानना था कि यह ईरान के परमाणु हथियार कार्यक्रम का केंद्र था.

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नई दिल्ली:

अमेरिका ने ईरान के फोर्डो परमाणु संयंत्र सहित तीन ठिकानों को निशाना बनयाा है. यह हमला 22 जून 2025 को हुआ, जब अमेरिकी B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स ने GBU-57 मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर (MOP), जिसे 'बंकर बस्टर' बम कहा जाता है, का उपयोग कर फोर्डो को नष्ट कर दिया गया. फोर्डो, जो पहाड़ के 90 मीटर नीचे बना है, ईरान के परमाणु हथियार कार्यक्रम का केंद्र माना जाता था. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस हमले की पुष्टि करते हुए कहा कि फोर्डो सहित तीन परमाणु ठिकानों को पूरी तरह तबाह कर दिया गया है.  इस कार्रवाई के साथ ही इजराइल-ईरान युद्ध में अमेरिका की सीधी एंट्री हो गई है. 

GBU-57 बम, जो 30,000 पाउंड वजनी है, विशेष रूप से गहरे बंकरों को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. इस हमले में 6 बंकर बस्टर बमों के साथ 30 टॉमहॉक मिसाइलों का भी इस्तेमाल हुआ. यह तकनीकी और रणनीतिक दृष्टिकोण से एक कठिन ऑपरेशन माना जा सकता है. आइए, ग्राफिक्स के माध्यम से समझें कि अमेरिका ने इस हमले को कैसे अंजाम दिया. 

GBU-57, जिसे 'बंकर बस्टर' कहा जाता है, 30,000 पाउंड (13,600 किलोग्राम) वजनी एक GPS-निर्देशित बम है. इसे गहरे बंकरों और सुरक्षित सुविधाओं को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. यह बम 60 मीटर कंक्रीट या 200 फीट मिट्टी को भेद सकता है. इसका विस्फोटक 5,000 पाउंड तक का होता है, जो विशेष फ्यूज से नियंत्रित होता है. 

क्या अमेरिका अपने मकसद में हुआ सफल?

ईरान का फोर्डो प्लांट इतना अंडरग्राउंड है कि इसको तबाह करना आसान नहीं माना जा सकता था.  फोर्डो साइट सतह से 80-90 मीटर नीचे मानी जाती है. बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार माना जाता है कि इजरायल के पास भी बंकर-फोड़ हथियार थे लेकिन वे केवल 10 मीटर (33 फीट) से कम की गहराई तक ही काम कर सकते हैं. वहीं दूसरी तरफ अमेरिका के पास जो GBU-57 बम है जो यह काम करने में सक्षम हो सकता हैं अब तक इसकी तबाही को लेकर कोई साफ बयान नहीं सामने आया है. हालांकि अमेरिका की तरफ से ऑपरेशन के सफल होने की बात कही गई है. 

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6 चरण में काम करता है बम

  • पहला चरण– बम को टारगेट से लगभग 12 किमी ऊपर B-2 स्टील्थ फाइटर जेट से छोड़ा जाता है. GBU-57 बम को डिप्लॉय करने (टागरेट पर गिराने) में केवल यह फाइटर जेट सक्षम है. यह स्टील्थ फाइटर जेट है यानी इसको रडार कैच नहीं कर पाता है. प्रत्येक B-2 फाइटर जेट अपने साथ दो GBU-57 बम ले जा सकता है.
  • दूसरा चरण- इस बम में कोई इंजन नहीं लगा होता है, लेकन जब इसे आसमां में 12 किमी की उंचाई से गिराया जाता है, और इसका खुद का वजन 13,607 KG होता है तो  यह बहुत तेज गति से नीचे आता है.
  • तीसरा चरण- यह बम सैटेलाइट गाइडेंस से लैस होता है. यानी अमेरिका में बैठकर ही इसे ईरान के किसी टारगेट पर बीच हवा में मूव किया जा सकता है. इसमें लगे फिन्स का इस्तेमाल करके इसे हवा में मूव किया जाता है और टारगेट के ठीक उपर गिराया जाता है.
  • चौथा चरण- इस स्टेप के लिए आप यह समझिए कि अगर किसी चीज का वजन बहुत अधिक है और वह तेज गति से मूव कर रही है तो उसकी काइनैटिक इनर्जी बहुत अधिक होती है और किसी सतह से टकराने पर उसका प्रभाव उतना ही अधिक होता है. अब भारी वजन और तेज स्पीड इस बम को भी बंकर के उपर की जमीं पर टकराते ही हाई काइनैटिक इनर्जी देती है.
  • पांचवा चरण- बंकर के उपर की जमीं पर हाई इनर्जी से टकराकर बम जमीन के 61 किमी अंदर तक पहुंच जाता है.
  • छठा चरण- इस स्तर पर पहुंचकर बम का फ्यूज डेटोनेट होता है और इसमें मौजूद 2,400 KG विस्फोटक फटता है.

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