अमेरिकी सैनिकों ने करीब 20 साल बाद अफगानिस्‍तान का बगराम एयरबेस छोड़ा

अमेरिका के एक रक्षा अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि सभी अमेरिकी और नाटो सैनिकों ने बगराम एयरबेस छोड़ दिया है और संकेत दिया कि अफगानिस्‍तान से सभी विदेशी बलों की वापसी बेहद करीब है.

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अमेरिकी बलों ने अफगानिस्तान युद्ध में सेना के केंद्र रहे बगराम एयरबेस को छोड़ दिया है

अमेरिकी बलों ने अफगानिस्तान युद्ध में सेना के केंद्र रहे बगराम एयरबेस को करीब 20 साल के बाद छोड़ा. अमेरिका के एक रक्षा अधिकारी ने शुक्रवार को AFP को यह जानकारी देते हुए बताया कि सभी अमेरिकी और नाटो सैनिकों ने बगराम एयरबेस छोड़ दिया है और संकेत दिया कि अफगानिस्‍तान से सभी विदेशी बलों की वापसी करीब है.यह एयरबेस, तालिबान को उखाड़ फेंकने के लिए हुए युद्ध और अमेरिका पर 9/11 में हुए आतकंवादी हमले के जिम्मेदार अल-कायदा के साजिशकर्ताओं की धर-पकड़ के लिए सेना का केंद्र रहा था.अधिकारियों ने बताया कि एयरफील्ड ‘अफगान राष्ट्रीय सुरक्षा एवं रक्षा बल' को पूरी तरह से सौंप दिया गया है.

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अमेरिका और नाटो सैनिकों ने काबुल से 50 किमी की दूरी पर स्थिति बगराम एयरबेस कब छोड़ा, इस बारे में ज्‍यादा जानकारी दिए बगैर, इस अधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा, 'सभी गठबंधन सेना बगराम से बाहर है.' अधिकारी ने यह जानकारी नहीं दी कि इस एयरबेस को आधिकारिक तौर पर अफगान सेना को कब सौंपा जाएगा.  गौरतलब है कि अमेरिका का राष्‍ट्रपति बनने के बाद जो बाइडेन (Joe biden) ने घोषणा की थी कि अमेरिका करीब दो दशक के बाद इस साल 11 सितंबर तक अफगानिस्तान से अपने सभी सैनिकों को वापस बुला लिया जाएगा.

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हालांकि विशेषज्ञों ने अमेरिका और नाटो के सैनिकों को अफगानिस्तान से वापस बुलाए जाने के फैसले पर चिंता जताते हुए कहा है कि क्षेत्र में तालिबान का फिर से पांव पसारना और अफगानिस्तान की जमीन को आतंकवादियों द्वारा पनाहगाह के रूप में इस्तेमाल किया जाना भारत के लिए चिंता का विषय होगा. पूर्ववर्ती डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन में राष्ट्रपति की उप सलाहकार और 2017-2021 के लिए दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों में एनएससी की वरिष्ठ निदेशक रहीं लीज़ा कर्टिस ने कहा, ‘‘अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाये जाने से क्षेत्र के देश, खासकर भारत में तालिबान के फिर से उभरने को लेकर चिंता होगी.'' अमेरिका के लिए पाकिस्तान के पूर्व राजदूत और वर्तमान में हडसन इंस्टीट्यूट थिंक-टैंक में दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों के निदेशक हुसैन हक्कानी ने कहा, ‘‘तालिबान के कब्जे वाले क्षेत्र के फिर से आतंकवादियों के लिए पनाहगाह बनने से भारत चिंतित होगा.''(भाषा से भी इनपुट)

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