अफगानिस्‍तान में तालिबान की सरकार का नहीं हो पा रहा है गठन, यह है कारण....

बताया जाता है कि हक्‍कानी ग्रुप (Haqqani factions)सर्वोच्‍च नेता के तौर पर हैबतुल्‍लाह अखुंदजादा (Haibatullah Akhundzada)को स्‍वीकार नहीं कर रहा.

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अफगानिस्‍तान में तालिबान की सरकार के गठन में मतभेद की खबरें सामने आई हैं
नई दिल्‍ली:

Afghanistan Crisis: तालिबान (Taliban)में मतभेदों  के चलते अफगानिस्‍तान में नई सरकार का गठन नहीं हो पा रहा, सूत्रों ने सोमवार को NDTV को यह जानकारी देते हुए बताया कि दोहा में मौजूद इस्‍लामी ग्रुप और हक्‍कानी धड़े के बीच की अनबन इसका कारण है. बताया जाता है कि हक्‍कानी ग्रुप (Haqqani factions) सर्वोच्‍च नेता के तौर पर हैबतुल्‍लाह अखुंदजादा (Haibatullah Akhundzada)को स्‍वीकार नहीं कर रहा. सूत्र बताते हैं कि पूर्व राष्‍ट्रपति हामिद करजई और दो बार के राष्‍ट्रपति पद के उम्‍मीदवार अब्‍दुल्‍लाअब्‍दुल्‍ला जैसे पूर्ववर्ती सरकारों के राजनीतिक नेताओं को सरकार में शामिल करने को लेकर भी अलग अलग राय सामने आई है. जहां तालिबान के सैन्‍य कमांडर इसके खिलाफ बताए गए हैं, वहीं दोहा में मौजूद ग्रुप इसके पक्ष में है. 

हक्‍कानी ग्रुप (दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकी समूहों में से एक ) और अखुंदाजादा की तीन उप प्रमुखों (deputies) में से एक मुल्‍ला बरादर (Mullah Baradar) के बीच की गरमागरम बहस' की रिपोर्टों  के बीच यह संभावित गतिरोध सामने आया है.  माना जा रहा है कि बरादर के पास नई सरकार में रोजाना के काम की महत्‍वपूर्ण जिम्‍मेदारी होगी. पाकिस्‍तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख, लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद ने संभावित संकट को टालने और हक्‍कानी को बड़ी भूमिका दिए जाने  को लेकर खुफिया एजेंसी के जोर दिए जाने की चर्चाओं के बीच रविवार को काबुल की उड़ान भरी थी. AFP की पिछले माह की एक रिपोर्ट में हक्‍कानी पर पिछले दो दशक में अफगानिस्‍तान में हुए सबसे खतरनाक हमलों को अंजाम देने का दोषी ठहराया गया था. संगठन के संस्‍थापक जलालुद्दीन हक्‍कानी (Jalaluddin Haqqani)का बेटा सिराजुद्दीन , अमेरिका में FBI के वांटेड में है और इसकी गिरफ्तारी पर 5 मिलियन यूएस डॉलर का इनाम घोषित  किया गया है. लंबे समय से इसके पाकिस्‍तान के सैन्‍य प्रतिष्‍ठानों के साथ रिश्‍तों का भी संदेह है. अमेरिकन एंटरप्राइजेज इंस्टीट्यूट के रेजिडेंट स्‍कॉल माइकल रुबिन ने अमेरिका स्थित 19फोर्टीफाइव में लिखा कि हमीद की आपातकालीन यात्रा  यह साबित करती है कि तालिबान आईएसआई की 'कठपुतली' हैं. पाकिस्‍तान ने इन आरोपों का खंडन किया है.

पेंटागन के इस पूर्व अधिकारी ने कहा कि उनकी हालिया यात्रा से अफगान सरकार को गिराने में हमीद का हाथ उजागर हो गया है. उन्होंने कहा, "हमीद का हाथ उजागर होने के बाद अमेरिका के नीति निर्माताओं को तालिबान से बातचीत या पहचान क्यों करनी चाहिए जब हमीद की आपातकालीन यात्रा पुष्टि करती है कि वह केवल आईएसआई की एक कठपुतली हैं."उन्होंने कहा कि वाशिंगटन के लिए बेहतर तरीका है कि फैज हमीद को आतंकी के रूप में नामित किया जाए और वह जिस संगठन का नेतृत्व करता है, वह एक आतंकवादी इकाई के रूप में है और उसने अफगानिस्तान को लंबे समय तक पीड़ित किया है.विशेषज्ञों का मानना है कि अफगान सरकार  को सत्ता से हटाने और तालिबान को निर्णायक शक्ति के रूप में स्थापित करने में पाकिस्तान प्रमुख खिलाड़ी रहा है.  

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