'पाकिस्तानी परमाणु बम के जनक' अब्दुल कादिर खान का 85 साल की उम्र में निधन हो गया. अधिकारियों ने रविवार को कहा कि कोविड-19 से ठीक होने के बाद तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया था. परमाणु वैज्ञानिक कादिर खान को पाकिस्तान को दुनिया का पहला इस्लामिक न्यूक्लियर पावर बनाने के लिए देश में राष्ट्रीय हीरो की तरह देखा जाता था. हालांकि, दुनिया में वह परमाणु बम की तकनीक दूसरे देशों को तस्करी करने के लिए बदनाम थे. सरकारी ब्रॉडकास्टर पीटीवी ने बताया कि फेफड़ों की समस्या के चलते उन्हें इस्लामाबाद के केआरएल अस्पताल ट्रांसफर किया गया था, जहां उनकी मौत हो गई.
रिपोर्ट में कहा गया है कि खान को अगस्त में कोविड-19 के बाद इसी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. कई हफ्ते पहले उन्हें अस्पताल से जाने की अनुमति दे दी गई थी. हालत बिगड़ने के बाद उन्हें फिर से अस्पताल में भर्ती किया गया था.
पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने एक ट्वीट में कहा कि उन्हें, "डॉक्टर अब्दुल कादिर खान के निधन के बारे में जानकर काफी दुख हुआ", जिन्हें वह साल 1982 से व्यक्तिगत तौर पर जानते थे. पाक राष्ट्रपति ने कहा कि "उन्होंने देश को बचाने वाली परमाणु प्रतिरोध विकसित करने में हमारी मदद की और यह राष्ट्र उनकी सेवाओं को कभी नहीं भूलेगा."
पाकिस्तान को परमाणु क्षेत्र में भारत के बराबर लाने और पाकिस्तान की सुरक्षा को अभेद्य बनाने के लिए खान की तारीफ हुई. हालांकि, ईरान, लीबिया और उत्तर कोरिया को अवैध रूप से परमाणु तकनीक साझा करने के आरोपों के चलते दुनियाभर में उनकी किरकिर हुई.