इजराइल-हमास युद्ध के बीच एक 21 वर्षीय इज़राइली-अमेरिकी सैनिक की अपने साथी सैनिकों की जान बचाते हुए मौत हो गई. इंडिपेंडेंट की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है. स्टाफ सार्जेंट रोए वीजर शनिवार को उस समय केरेम शालोम सीमा पार पर तैनात थे, जब आतंकवादियों ने उनके अड्डे पर धावा बोला. गोलानी ब्रिगेड की 13वीं बटालियन के इजरायली सैनिकों पर आतंकियों ने हमला किया.
रोए वीजर की मां नाओमी फीफ़र-वीजर ने सीएनएन को बताया कि उन्होंने ध्यान भटकाने के लिए खुद को बलिदान कर दिया ताकि उनके साथी सैनिक सुरक्षित भाग सकें.
नाओमी फीफ़र-वीजर ने कहा कि,''वह जिस तरह जिए, उसी तरह मर गए, दूसरों को पहले सुरक्षित रखकर.. जब उनके अड्डे पर आतंकवादियों ने कब्ज़ा कर लिया तो उनका ध्यान भटकाने के लिए वे खुद चले गए और दूसरों को भागने दिया. उनकी बहादुरी के कारण कम से कम 12 अन्य सैनिक आज जीवित हैं.''
रोए की मां ने कहा, “रोए ने हमेशा अपने चेहरे पर मुस्कान के साथ अपना जीवन पूरी तरह से जीया. वह हमेशा अपने आसपास के लोगों की मदद करने के तरीके तलाशा करता था. वह (सेना में) भर्ती होने से पहले एक ऐसा वायलेंटियर फायर फाइटर था, जो जरूरत पड़ने पर हमेशा सबसे पहले कार्रवाई के लिए आगे रहता था.'' उन्होंने आगे कहा, "वह एक हीरो के रूप में पैदा हुए थे और एक हीरो के रूप में ही मरे." .
रोए वीज़र के पिता ने फेसबुक पर इस दुखद समाचार की सूचना दी, ''मेरा बेटा रोए दक्षिणी सीमा की रक्षा करते हुए एक हीरो के रूप में शनिवार की सुबह मारा गया. हमें रविवार दोपहर को आईडीएफ से यह संदेश मिला. चूंकि अब तक हमें यह जानकारी नहीं मिल पाई है कि हम उनका शव कब दफना सकेंगे, हम बस इतना चाहते हैं कि रोए को आराम दिया जाए और उनके लिए शोक मनाया जाए. कृपया इस पोस्ट को साझा करें. हो सकता है कि यह सही व्यक्ति तक पहुंच जाए जो हमारे काम को आगे बढ़ा सकता हो.''
इजरायली रक्षा बलों ने मंगलवार की शाम को पुष्टि की कि उसके शव की पहचान कर ली गई है. वे शुरू में उसके शव का पता नहीं लगा सके थे. कुछ ही समय बाद सार्जेंट के शव को प्रोसेस किया गया और दफनाने के लिए रख दिया गया.
वीज़र के माता-पिता का जन्म और पालन-पोषण अमेरिका में हुआ था, लेकिन अब वे इज़राइल में ही रहते हैं.
अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडेन ने मंगलवार को पुष्टि की कि शनिवार को हिंसा शुरू होने के बाद से कम से कम 14 अमेरिकी मारे गए हैं. इज़राइल ने गाजा पट्टी पर शनिवार से सैकड़ों घातक हवाई हमले किए हैं, जिसमें लगभग 1,200 लोग मारे गए हैं.