कांग्रेस पार्टी पर परिवारवाद का आरोप लगता रहा है.लंबे वक्त से पार्टी पर गांधी-नेहरू परिवार ही नेतृत्व कर रहा है.जब से इस परिवार का पार्टी पर दबदबा रहा है.इस परिवार के खिलाफ आवाजें भी उठी हैं और इसके समर्थन में भी लोग आए हैं.परिवार का जितना विरोध था,उससे कहीं ज्यादा सपोर्ट था.जवाहर लाल नेहरू के बाद लाल बहादुर शास्त्री को प्रधानमंत्री बनाया गया लेकिन उनके देहांत के बाद इंदिरा गांधी के हाथ में पार्टी की कमान आ गई.जिन्होंने कांग्रेस को नई दिशा दिखाई.इंदिरा गांधी के बाद नरसिम्हा राव के हाथ में कांग्रेस की जिम्मेदारी दी गई लेकिन उस दौर में बड़ी संख्या में लोग पार्टी छोड़कर जाने लगे.राव के बाद फिर सोनिया गांधी के हाथ में पार्टी की बागडोर आ गई. सोनिया के बाद राहुल ने जिम्मेदारी संभाली लेकिन लोकसभा चुनावों के बाद उन्होंने खुद अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया.ऐसे में सवाल उठता है कि क्या गांधी परिवार के बिना कांग्रेस सफलता अर्जित कर पाएगी.