रवीश का रोड शो : ग़रीबों को बेहतर ज़िंदगी का अधिकार क्यों नहीं?
प्रकाशित: अप्रैल 19, 2019 09:00 PM IST | अवधि: 36:21
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पिछले कुछ वर्षों में मजदूरों की चर्चा हर तरह की बहस से गायब हो गई है. पहले उन्हें बहस से गायब किया गया और फिर सुरक्षित जिंदगी की बहस से भी. जो श्रम सुधार कानून बनाए गए उन कानूनों की वजह से लगातार फैक्ट्रियों में स्थायी कर्मचारियों की संख्या घटी ही है और अस्थायी यानी ठेके पर काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ गई है. दरअसल ये तरक्की की रफ्तार नहीं है और इससे मजदूरों की जिंदगी में कोई बदलाव नहीं हो रहा है.