मार्च के मध्य में जंतर-मंतर पर तमिलनाडु के किसानों ने कई दिनों तक अपना प्रदर्शन किया. हर दिन उनका प्रदर्शन एक नए स्तर पर पहुंचता रहा, मगर अंत में नतीजे पर नहीं पहुंचा. वही आश्वासन लेकर लौटना पड़ा. किसानों के ज़्यादातर आंदोलन की सबसे बड़ी सफलता यही होती है, आश्वासन. एक आश्वासन से दूसरे आश्वासन के बीच किसान झूलता रहता है. उसकी समस्याएं वहीं की वहीं रहती हैं.