स्तम्भकार आकार पटेल के लेख के अनुसार, अर्थव्यवस्था हमेशा भविष्यवादी नीतियों का विषय है और नीतियां बड़े जतन से बनाई जाती हैं कि आगे अनूकूल नतीजे निकलें. लेकिन कोई कितना भी बड़ा महारथी क्यों न हो, दावे के साथ नहीं कह सकता कि नतीजों का ऊंट किस करवट बैठेगा. हमारी सरकार भी बड़ी उम्मीदों और दावों के साथ नीतियां लाती हैं लेकिन उनका असर क्या होता है, ये चर्चा का विषय रहता ही है. आजकल किसान आंदोलन सरकार के लिए चिंता का सबब है.