बिहार के गोपालगंज में एक गांव है जिगना. इस गांव एक लोक कलाकार थे रसूल मियां. भिखारी ठाकुर की तरह लोकप्रिय. रसूल मियां राम और गांधी को लेकर रचा करते थे. उनके गीतों में आज़ादी, चरखा और सुराज आता था. राम का सेहरा लिखा है रसूल मियां ने. गमकता जगमगाता है अनोखे राम का चेहरा. राम का चेहरा अब भी चमक रहा है उसके बाद भी जब जामिया की सड़क पर लड़का बंदूक लहरा रहा था, खुद को रामभक्त बता रहा था. गांधी की जब हत्या हुई तब रसूल मियां कोलकाता में थे. सुभाष चंद कुशवाहा जी ने अपनी पत्रिका लोकरंग में रसूल मियां को पाठकों के सामने लाया था. उनके इस गीत को सुनिए. चंदन तिवारी ने गाया है आप दर्शकों के लिए. चंदन की आवाज़ गांधी के पदचाप की तरह सुनाई देती है. आप सुनिएगा उस आवाज़ को. भोजपुरी में है. समझना आसान है. आप जानते हैं कि मेरी मातृभाषा भोजपुरी है. हिन्दी नहीं है. इस गाने में रसूल मियां कहते हैं कि मेरे गांधी को किसने गोली मार दी. तीन तीन गोली मारी. कल ही तो आज़ादी मिली थी, आज ही गोली मार दी. गौर से सुनिए. आपको गांधी जाते हुए दिखाई देंगे. गोड्से आता हुआ दिखाई देगा.