भारत के बड़े शहरों के लोगों ने रोज़ दो-तीन घंटे ट्रैफिक जाम में रहना स्वीकार कर लिया है. उनकी सहनशीलता बताती है कि उन्हें इसके अलावा किसी विकल्प की उम्मीद भी नहीं है. बारिश के दिनों में टीवी पर सड़कों पर पानी भर जाने के दृश्य, डूबी हुई कारें, टूटी सड़कें यह सब हमारे शहरी जीवन के अनुभव को भयावह बना रहे हैं और हम तमाम प्रकार के भयावह मंज़रों के प्रति अब सामान्य होने लगे हैं.