भारत के शहरों को करीब से देखने की जरूरत है. सड़कों पर कारें भरी हैं और आदमी उन कारों में घंटों फंसा हुआ है. हवा की हालत खराब है. थोड़ी सी बरसात होती है कि शहर डूबने लगते हैं. भारत का ऐसा कोई प्रमुख शहर नहीं बचा है जो ट्रैफिक जाम और प्रदूषित हवा से कराह नहीं रहा है. हमें लगता है कि यह कोई वक्ती समस्या है, मगर अब यह मान लेना चाहिए कि हमारे शहर दम तोड़ने के कगार पर हैं. इन्हें बेहतर बनाए जाने की बातें अखबारों में ही होती हैं, जमीन पर कम ही दिखता है. अवसर भी इन्हीं शहरों में हैं तो जाहिर है आबादी का दबाव भी बढ़ेगा.