कुछ दिनों पहले खबर आई थी कि गुजरात के भावनगर में एक दलित युवक की हत्या इसलिए कर दी गई क्योंकी वो घोड़ी चढ़ता था. यूपी के हाथरस में संजय कुमार नाम के एक युवक ने कहा है कि होने वाली पत्नि के गांव निमाबाद हबारात लेकर नहीं जा सकता क्योंकी वो ठाकुर बहुल गांव है. ठाकुरों का कहना है कि दलितों के लिए अलग रास्ता है, इस रास्ते कभी बारात आई ही नहीं. ऐसे में दलितों के खिलाफ हो रहे अत्याचार को रोकने के लिए जो बना बनाया कानून है उसमें ढील देने की जरूरत है क्या? कुछ दिनें पहले सुप्रीम कोर्ट ने एससी एसटी पिरिवेंशन ऑफ एट्रोसिटीज एक्ट के गलत इस्तेमाल पर चिंता जताई थी. और ऐसे मामलों में होने वाली फौरन गिरफ्तारी की जगह शुरुआती जांच की बात कही थी. इस आदेश पर भारी नाराजगी है. कहना है कि इस कानून से इस समाज का जो बचाव होता था, समाज के साथ ज्यादती करने पर कानूनी दिक्कते आ सकती थी, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से ये रुकावटें खत्म हो गई हैं.