बबुआ तो बुआ को लेकर सीरीयस है. तभी तो जीत के बाद बबुआ बुआ के घर पहुंच गया. राजनीति में नारे और प्रतीक कितनी जल्दी बदलते हैं. पिछले साल राहुल और अखिलेश की जोड़ी यूपी के लड़के कहलाए, नहीं चले तो अब बुआ बबुआ नारा चल निकला है. अखिलेश यादव गुलदस्ता लेकर बसपा नेता मायावती के घर मिलने पहुंच गए. यूपी की राजनीति में इस प्रणाम पाती से लंबे समय का समीकरण बनने वाला है. इस जोड़ी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सांप छुछूंदर की जोड़ी कह दिया. उनकी यह बात न तो बुआ के घरवालों को पसंद आई और न ही भतीजे के गांव वालों को. योगी सांस छुछूंदर तो बोल रहे थे लेकिन उन्हें भी पता नहीं होगा कि उसी सांप वाली पार्टी से एक नेता निकल कर उनके दल में आ रहा है जो कभी व्हिस्की में विष्णु बसे और रम में बसे श्री राम टाइप का नारा दे चुका है. जब राम के प्रति अभद टिप्पणी करने वाला जय श्री राम वालों की पार्टी में आ सकता है तो बबुआ बुआ के घर तो जा ही सकता है. भारतीय राजनीति में एक दूसरे को सांप और छुछुंदर कहने की विनम्रता से अच्छा है चुप रहने का अहंकार पाल लेना.