आपने वह विज्ञापन जरूर देखा होगा कि कर लो दुनिया मुट्ठी में. हमारे हाथ में एक मोबाइल (Mobile) होता है और हमें दुनिया मुट्ठी में लगने लगती है. लेकिन सच्चाई ये है कि हम खुद मोबाइल के मुट्ठी में हो जाते हैं. हम मोबाइल पर वह नहीं करते जो करना चाहिए बल्कि वो करते हैं जो मोबाइल हमसे कराता है. The Anand Kumar Show में हम इस मुद्दे पर बात करेंगे कि कैसे मोबाइल की तिलिस्म में इंसान फंसता जा रहा है.