वैसे नागरिकता क़ानून हो, एनआरसी हो, जेएनयू हो- यह आंदोलनों का भी मौसम है और उनको कुचलने का भी. इन सबके बीच सब अदालत की शरण भी ले रहे हैं. यहां तक कि संसद में पास क़ानून के लिए भी अदालत से संवैधानिक दर्जा मांगा जा रहा है. गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि पहले हिंसा रुकनी चाहिए, उसके बाद किसी कार्रवाई की बात होनी चाहिए.