हमें चाहिए आज़ादी, 2016 में जेएनयू से निकले इस नारे को चार चैनल के लोग एंटी नेशनल फ्रेमवर्क में फिट करते रहे, मगर यह नारा धारा अपनी रफ्तार से भ्रष्टाचार से लेकर तमाम तरह की अव्यवस्था से आज़ादी का स्लोगन बनता चला गया. जेएनयू सिर्फ जेएनयू में नहीं होता है. जेएनयू होने का मतलब यही था या है कि जो ग़लत हो रहा है उसके खिलाफ बोलेंगे. कैंपस के भीतर भी और यमन में हो रही बमबारी के खिलाफ भी. आज न सही, कभी न कभी जे एन यू होना पड़ता है और अपने कैंपस में मशाल मार्च निकालना पड़ता है. जैसे हिदायतुल्ला नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ के 1000 के छात्र इन दिनों कर रहे हैं. 27 अगस्त से वे एक निर्णायक लड़ाई लड़ रहे हैं. उन सीनियरों के बदले भी जो सहते रहे और चुप चाप यूनिवर्सिटी से डिग्री लेकर चले गए.