गंगा-यमुना और सरस्वती के संगम पर कहते हैं कि सदियों पहले अमृत गिरा था. उसी अमृत की चाह में सदियों बाद आज भी दुनिया का सबसे बड़ा मेला कुंभ यहीं होता है. इस जमीन के जर्रे-जर्रे से करोड़ों लोग आस्था की इस डोर से बंधे गंगा की कशिश से खिंचे यहां चले आते हैं.