वाराणसी में अगर शमीम कुरैशी बच्ची की मदद को आगे ना आते तो ना जाने कब तक ये बच्ची ऐसे ही तड़पती रहती. ऐसी घटनाओं के दौरान कई बार आम लोगों का रवैया तो ऐसा लगता है कि क्या कहें. शायद कई लोगों को तब तक फर्क नहीं पड़ता, जब तक आफत खुद उन पर ना आ जाए या अपनों पर ना टूट पडे़.