सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में बॉम्बे हाईकोर्ट के एक विवादास्पद आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें एक व्यक्ति को 12 साल की लड़की के यौन उत्पीड़न से बरी कर दिया गया था क्योंकि पीड़िता के साथ "स्किन टू स्किन कांटेक्ट" नहीं था. जनवरी में संयोग से एक महिला न्यायाधीश द्वारा पारित किए गए उच्च न्यायालय के आदेश ने बाल अधिकार कार्यकर्ताओं और कानूनी विशेषज्ञों के साथ देश भर में बड़े पैमाने पर आक्रोश पैदा किया और चिंता जताई कि यह एक "खतरनाक मिसाल" स्थापित करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में फैसले को खारिज कर दिया और कहा कि यौन इरादे महत्वपूर्ण हैं, न कि "स्किन टू स्किन कांटेक्ट".
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