संयुक्त राष्ट्र में नेताओं की चिन्ता में उनकी अपनी छवि है, शक्ति प्रमुख दिखने की बेताबी है, कूटनीति है जलवायु संकट की चिन्ता कम कम है. मगर इस सम्मेनल की खासियत यही रही कि आम लोगों ने जलवायु संकट को उभारने का प्रयास किया है. अमरीका, चीन और भारत दुनिया के तीन सबसे बड़े कार्बन प्रदूषण फैलाने वाले देश माने जाते हैं. इनसे काफी निराशा हुई है. जलवायु सम्मेलन में उन देशों ने ज्यादा कमिटमेंट दिखाया है जो जलवायु संकट के खतरे की चपेट में हैं. आइलैंड देशों में ज्यादा बेचैनी है क्योंकि अगर समुद्र तल की ऊंचाई बढ़ी तो ये देश डूब जाएंगे. 70 छोटे देशों ने ज्यादा कठोर वादा किया है कि वे जल्दी कार्बन उत्सर्जन खत्म कर देंगे. मार्शल आइलैंड की प्रेसिडेंट ने कहा है कि 2050 तक कार्बन उत्सर्जन खत्म कर देंगे. इस तरह का वादा किसी ने नहीं किया. शुक्रवार को 28 देशों में जलवायु संकट को लेकर प्रदर्शन हुआ है. पर्यावरणविद और समुद्री जैव विविधता का अध्ययन करने वाले रेचल कार्सन ने साइलेंट स्प्रींग नाम से रिपोर्ट तैयार की थी. 27 सितंबर 1962 को साइलेंट स्प्रींग का प्रकाशन हुआ था. उसी की याद में दुनिया भर में प्रदर्शन हुआ. इस प्रदर्शन का नाम अर्थ स्ट्राइक है. भारत में स्कूली बच्चों का प्रदर्शन जगह जगह हुआ. कई जगहों पर आज हुआ है कुछ जगहों पर 26 सितंबर को हुआ. गुरुग्राम में अलग-अलग स्कूलों से 350 के करीब छात्रों ने मानव श्रृंखला बनाई और मार्च किया. ये बच्चे चाहते है कि जलवायु संकट को लेकर तुरंत कदम उठाए जाएं.