सच की पड़ताल : क्‍या कोचिंग और प्रतियोगिता का दबाव बच्‍चों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है? 

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  • प्रकाशित: दिसम्बर 12, 2022
17-18 साल की उम्र जिंदगी जीने की उम्र होती है, जान देने की नहीं. फिर वो कौनसी हताशा होती है कि इस उम्र में कुछ नौजवान अपने सबसे सुंदर दिनों में सबसे अंधेरी गली चुन लेते हैं. यह सवाल आज कोटा में तीन बच्‍चों की खुदकुशी की खबर से फिर खड़ा हुआ है. 

 

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