रवीश कुमार का प्राइम टाइम : 'शेरू' के बिना अधूरी है गाज़ीपुर बॉर्डर की कहानी

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  • प्रकाशित: दिसम्बर 13, 2021
गाज़ीपुर बॉर्डर की कहानी शेरू कुत्ते के बिना पूरी नहीं हो सकती थी. जिस तरह से आंदोलन शुरू में कमज़ोर था, शेरू भी कमज़ोर था. आंदोलन मज़बूत होता गया और शेरू भी मज़बूत होता गया. शेरू भी किसान बन गया था और किसान शेरू की तरह बहादुर.

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