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रवीश कुमार का प्राइम टाइम : क्या सरकार के आलोचकों के लिए अब कहीं जगह नहीं बची है?

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हमारी संस्कृति पर जीन्स का आक्रमण हो चुका है. फटी हुई जीन्स भी हमारे संस्कारों को घायल कर रही है. जीन्स ही इस वक्त गंभीर समस्या है. लेकिन उससे भी गंभीर है अशोका यूनिवर्सिटी में जो हुआ. अशोका यूनिवर्सिटी से दो विद्वानों को इस्तीफा देना पड़ा है. प्रताप भानु मेहता के इस्तीफे के बाद अरविंद सुब्रमण्यन के इस्तीफे की खबर आई है. इंडियन एक्सप्रेस नामक दैनिक समाचार पत्र की ऋतिका चोपड़ा ने लिखा है कि प्रताप भानु मेहता के इस्तीफे की परिस्थिति का उल्लेख करते हुए अरविंद सुब्रमण्यन ने इस्तीफा दे दिया है. अरविंद तो अशोका सेंटर फॉर इकोनॉमिक पॉलिसी के संस्थापक निदेशक रहे हैं. अरविंद सुब्रमण्यन जैसे प्रोफेसर भी हटाए जा सकते हैं जो भारत के आर्थिक सलाहकार रहे हैं और शानदार आर्थिक सर्वे लिखा है. प्राइवेट यूनिवर्सिटी पर हमला सरकारी यूनिवर्सिटी को खत्म किए जाने के जैसा ही है. हाल ही में शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने लोकसभा में जवाब दिया है कि उच्च शिक्षा के 42 केंद्रीय संस्थानों में 6,704 पद खाली हैं. जिसमें से 75 फीसदी आरक्षित पद हैं. क्या हम उससे घबराए, क्या रातों की नींद गायब हुई कि पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं है तो आपके बच्चों को कौन पढ़ा रहा होगा?



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