रवीश कुमार का प्राइम टाइम: महंगाई जीने लायक नहीं छोड़ रही, ईमानदार पत्रकारिता मरती जा रही है

महंगाई के इस भयंकर दौर में महंगाई की बात इस तरह से हो रही है जैसे यह प्रतिशत में ही सताती है. आंकड़ों में ही नज़र आती है. किसी के घर का चूल्हा कैसे बुझता है और थाली से भोजन कैसे कम हो जाता है, इसकी चर्चा कहीं नहीं है और न कोई तस्वीर नज़र आती है.

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