क्या इस दुनिया के बाहर भी कोई दुनिया है? हमारी तरह बोलने, हंसने, रोने, खुश होने और दुखी होने वालों की दुनिया. ये सवाल कवियों, लेखकों, फिल्मकारों से लेकर वैज्ञानिकों तक को सदियों से लुभाता रहा है. इंसान ने बार-बार इस दुनिया के बार-बार इस दुनिया के बाहर झांकने की कोशिश की. रूस के यूरी गगारिन 1961 में जब पहली बार आसमान में उतरे तो लगा कि अब वाकई आसमान भी इंसान की मुट्ठी में है. उसके पांव तले आ गया है. 1969 में जब अमेरिकन अंतरिक्ष यात्री नील आर्म स्ट्रांग ने चांद पर कदम रखे तो उन्होंने इसे अमेरिका की नहीं इंसानियत की बड़ी छलांग बताया.