राजनीति में गिलक्रिस्ट नहीं होते इसलिए 8 अगस्त की रात चुनाव आयोग के सामने बीजेपी के अनेक मंत्री और कांग्रेस के बड़े नेताओं की आवाजाही को लेकर सवाल तो एक ही होना चाहिए था कि ये जो एमएलए तोड़ो आंदोलन चल रहा है उसके पीछे सत्ता ने कौन सा खेल खेला है. सवाल तो उठे मगर जल्दी ही मीडिया का फोकस रणनीतिकारों की तारीफ की तरफ चला गया जहां कम जोखिम था. पूरी रात दोनों तरफ से अनेक मंत्री और अनेक प्रवक्ता बारी-बारी से आयोग के भीतर जाते रहे और बाहर आकर एक ही बात बारी बारी से कहते रहे ताकि लंबे समय तक टीवी के स्क्रीन पर डटे रहें.