1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान, 22 साल की ऊषा मेहता ने एक गुप्त रेडियो स्टेशन चलाकर अंग्रेजों को चुनौती दी। यह कहानी है उस साहसी युवती की, जिसने अपनी आवाज़ से देशभक्ति की अलख जगाई और ब्रिटिश हुकूमत को परेशान कर दिया। जानिए कैसे यह 'सीक्रेट रेडियो' स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण हथियार बन गया।