मुझे हैरानी हो रही है कि डीएसपी दविंदर सिंह की आतंकवादियों के साथ गिरफ्तारी से लोग हैरान हैं. दरअसल हैरानी इसलिए कि बार-बार मना करने के बाद भी बहुत लोग आतंकवाद को मज़हब की निगाह से ही देखते हैं. आतंक को दूसरे सवालों और संबंधों के साथ नहीं देखते हैं? अगर आप आतंकवाद को इराक इरान और सीरीया जैसे देशों की राजनीति में समझने का प्रयास करेंगे तो वहां आतंकवाद बाहर से मज़हब का रूप लिए दिखेगा, मगर भीतर से उसके संबंध सरकारों से भी नज़र आते हैं. कई देशों में यह राज्य की सत्ता का हिस्सा भी है जिसे आप डीप स्टेट कहते हैं. जो लोग आतंकवाद को इस नज़र और समझ से देखते हैं सिर्फ वही डीएसपी दविंदर की गिरफ्तारी से हैरान नहीं होंगे. सामान्य लोगों की नज़र पर राजनीति और मीडिया की बनाई हुई छवि का पर्दा होता है और बहुत से लोग उसी नज़र से आतंकवाद को देखते हैं. क्योंकि मज़हब का नाम आते ही और मेहनत करने की ज़रूरत नहीं होती है, बिना समझे ही कई लोगों को लगता है कि सब समझ गए.