हमारे देश में सिस्टम कैसे काम करता है, उसके काम का क्या पैमाना है इसका समय-समय पर मूल्यांकन करते रहिए. देखिए कि एक सिस्टम बहुत बड़ी संख्या में लोगों को कैसे कुछ नहीं समझता है और वही सिस्टम किसी एक व्यक्ति को कैसे देश और समाज के लिए खतरा बता कर फर्ज़ी मुकदमे में बंद कर देता है. हज़ारों की संख्या में शोध छात्र हों या अकेले फादर स्टैन स्वामी हों. सिस्टम को कोई फर्क नहीं पड़ता है. फर्क यही है कि हज़ारों की संख्या में छात्र लाचार नज़र आते हैं. एक अकेले स्टैन स्वामी सिस्टम की नाइंसाफियों से लड़ने निकल पड़ते हैं. मगर होता क्या है.