देश में हर पांचवें दिन एक आदमी गटर, सीवर और सैप्टिक टैंक में अपनी जान गंवा रहा है. ये वो मसला है जिसे राष्ट्रीय शर्म कहा जाए तो ग़लत नहीं होगा. सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर कठोर टिप्पणियां कीं. सुप्रीम कोर्ट अनुसूचित जाति-जनजाति उत्पीड़न निरोधक अधिनियम को लेकर पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था और इस दौरान ये ज़िक्र आया तो कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से इस पर भी सफ़ाई मांग ली. कोर्ट ने कहा दुनिया भर में कहीं भी लोगों को इस तरह गैस चैंबर में मरने के लिए नहीं छोड़ा जाता. आज़ादी के 70 साल बाद भी छुआछूत जारी है और सरकार ने ऐसे लोगों के लिए कुछ नहीं किया. अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने माना कि इस मामले में देश में हालात ठीक नहीं हुए हैं.
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