भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट की अजीब स्थिति है. सरकारी पक्ष नहीं चाहता कि इस रिपोर्ट को कोई और देख ले, विपक्ष नहीं देख पाता, क्योंकि इस रिपोर्ट में उनकी सरकारों के बारे में भी टिप्पणियां होती हैं. सीएजी की रिपोर्ट से गुज़रते हुए आप तमाम विभागों की हालत, तमाम राज्यों में समझ सकते हैं. कहीं रिकॉर्ड ही नहीं रखा जाता, कहीं ज़्यादा भुगतान हो गया, तो कहीं किसानों को वाजिब हक न मिले. इसके लिए बैंकों ने ही जानबूझ कर देरी कर दी. सीएजी की रिपोर्ट को अपने ख़ाली वक्त में पढ़ना चाहिए. इससे पता चलेगा कि महंगे विज्ञापनों में जो दावे किए जाते हैं उनके पीछे का खेल क्या है.