दिल्ली के शाहीन बाग़ की तर्ज़ पर पुराने लखनऊ के हेरिटेज ज़ोन में बने घंटाघर पर महिलाओं का धरना कई दिन से जारी है. खुले आसमान के नीचे चौबीसों घंटे चल रहे इस धरने में सिविल नाफ़रमानी भी है, रचनात्मक नारे भी, कलात्मक पोस्टर भी हैं और सीएए और एनआरसी के ख़िलाफ़ बेचैनी से उपजी नज़्में भी.इस कड़ाके की ठंड में धरने पर बैठी महिलाओं और लड़कियों के चारों ओर पुलिस का पहरा है और ये पहरा उनके संकल्प को और मज़बूत बना रहा है, प्रतिरोध की नई नज़्मों को जन्म दे रहा है.