पैरालिंपियन दीपा मलिक का कहना है कि एक पहचान की तलाश ने उन्हें जीवन में प्रेरित किया. वह कहती हैं कि 30 साल की उम्र में मुझे लकवा मार गया, मैंने चलना बंद कर दिया और मैं व्हीलचेयर तक ही सीमित हो गई. मुझसे कहा गया था, अब मेरी जिंदगी थम जाएगी. लेकिन मैं हमेशा दुखी रहने के लिए तैयार नहीं थी और मुझे समझ नहीं आ रहा था कि व्हीलचेयर किसी को भी बढने से कैसे रोक सकती है. इसलिए, मैंने घर से खानपान का व्यवसाय शुरू किया और होम डिलीवरी शुरू की, मैंने अच्छी कमाई करना शुरू कर दिया, मैंने अपने पति से ज्यादा कमाई शुरू कर दी और उस समय उन लोगों को मैंने जवाब दिया कि यह घर कैसे चलाएगी या खाना कैसे बनाएगी. आखिरकार मैं खेलों में शामिल हो गई और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा.