मुंबई में 35 लाख के करीब उत्तर भारतीय रहते हैं और 28 लाख के करीब मतदाता हैं जो लोकसभा की सभी 6 सीटों की जीत हार में असर रखते हैं । लेकिन दोनो प्रमुख गठबंधनों में देखें तो ना तो महायुति और ना ही महाविकास आघाड़ी ने अभी तक एक भी उत्तर भारतीय को लोकसभा उम्मीदवारी दी है। खास कर बीजेपी की बात करें तो साल 2014 से उत्तर भारतीय बीजेपी के साथ हैं लेकिन बीजेपी ने भी एक भी उत्तर भारतीय उम्मीदवार नही दिया है जबकि एक एक सीट गुजराती और राजस्थानी को दी जा चुकी है। ऊपर से उत्तर भारतीयों को पीटने वाली एमएनएस को साथ लें रही है वो अलग। ऐसा क्यों और कौन है इसके लिए जिम्मेदार देखिए आम उत्तर भारतीयों की क्या है राय ?