बीजेपी का अश्वमेध दक्षिण भारत के तीन राज्यों ने रोका. आंध्र ने, केरल ने और तमिलनाडु ने. लेकिन पूरब का एक चौथा राज्य भी है जिस पर मोदी की सुनामी का असर काफ़ी कम पड़ा. ओडिशा में बेशक बीजेपी 21 में से 8 सीटें जीतने में कामयाब रही, और उसे सात सीट का फायदा हुआ, लेकिन विधानसभा चुनावों में नवीन पटनायक अजेय दिखे. ये पांचवीं बार है जब वे राज्य के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं. उनकी बराबरी शायद सिक्किम के पवन चामलिंग ही कर सकें. खास बात ये है कि इस बार नवीन पटनायक पर दोहरा दबाव था. एक तरफ बीजेपी लगातार ओडिशा में पांव जमा रही थी और दूसरी तरफ माना जा रहा था कि राज्य सरकार के खिलाफ असंतोष है. लेकिन नवीन पटनायक सारी चुनौतियों से पार पाने में कामयाब रहे.