तो ये इक्कीसवीं का भारत है. ग्लोबल पावर होने को बेचैन भारत. 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य निर्धारित करता भारत, लेकिन इसी देश में एक भारत और है. उसके नागरिकों को बिजली के मामूली से कनेक्शन के लिए 38 साल लड़ाई लड़नी पड़ती है. तब भी उसे बिजली नहीं मिलती. ये कहानी महाराष्ट्र के ही बुलढाणा के एक गांव के एक किसान की है. तीन दिन पहले उसने हताश होकर ख़ुदकुशी की कोशिश की. उसका परिवार 1980 से अपने खेतों के लिए बिजली का कनेक्शन हासिल करने की कोशिश कर रहा है. उसके दादा ने कनेक्शन के लिए आवेदन दिया था. 13 साल पहले वो इसके लिए अनशन पर बैठा. कुछ दिन पहले उसने खुदकुशी की धमकी दी, लेकिन किसी ने उस पर ध्यान नहीं दिया. अब वो बुलढाणा के एक अस्पताल में है. बिजली विभाग बता रहा है कि उसने 650 रुपये जमा नहीं कराए हैं, इसलिए उसे बिजली कनेक्शन नहीं दिया गया है.