इधर कुछ दिनों में रेल मंत्री और रेलवे बोर्ड के चैयरमैन के लेट से चलने को लेकर कई बयान आए हैं. हम उन बयानों के ज़रिए समीक्षा करेंगे कि कारण क्या है, सवाल क्या है और सबके जवाब क्या हैं. क्या सभी एक बात कर रहे हैं या जो कह रहे हैं वो सही बात कर रहे हैं. 30 मई को रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी ने अपने फेसबुक पर एक कमेंट किया है. शायद लेट चल रही गाड़ियों को लेकर उठ रहे सवालों के संदर्भ में यह उनका जवाब होगा. वे लिखते हैं कि मीडिया अक्सर उत्तर से पूर्व सेक्टर में चलने वाली ट्रेनों के लेट होने का मामला उठाता रहता है. हमारा ध्यान सुरक्षा कार्यों और बुनियादी ढाचों पर है जैसे डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कारपोरेशन और लेवल क्रांसिक समाप्त करने पर है. हाल के दिनों में ट्रेनों की रिपोर्टिंग में सत्यता भी आई है, जिसके कारण ट्रेनों के समय का आंकड़ा बहुत ख़राब दिखने लगा है. समय की सही रिपोर्टिंग के कारण 12 से 15 प्रतिशत अधिक दिखने लगा है, जबकि तथ्य यह है कि बुनियादी ढांचे के विस्तार के बग़ैर बिना सोचे समझे नई गाड़ियां चलाई जाती रही हैं. हमें दशकों की अनदेखी के कारण पैदा हुई समस्या को भी समझना होगा जिसे इतनी आसानी से नहीं दूर किया जा सकता है. दोनों तरफ से कीमत चुकानी पड़ेगी.